- ज्यादा शोर करने पर पुलिस आईपीसी की धारा-188 के तहत कर सकती है मामला दर्ज

- केस साबित होने पर 6 महीने तक कैद की सजा का प्रावधान

Meerut : दीवाली के मौके पर अगर आप गलत समय और गलत तरीके से पटाखे चला रहे हैं तो आप मुश्किल में पड़ सकते हैं। कानून के अनुसार पटाखा चलाने के लिए कुछ नियम तय किए गए हैं और अगर उसका पालन नहीं होता है तो कार्रवाई भी हो सकती है। पटाखा चलाने के लिए रूल्स और लिमिटेशन तय की गई हैं।

रात के दस बजे के बाद नहीं

नियम के तहत रात के 10 बजे के बाद शोर वाले पटाखे नहीं चलाए जा सकते और किसी भी तरह से ध्वनि प्रदूषण नहीं होना चाहिए। लीगल एक्सपर्ट के मुताबिक भारतीय संविधान ने प्रत्येक नागरिक को मूल अधिकार दिए हुए हैं। इसके तहत ही राइट टू लाइफ एंड लिबर्टी का सबको अधिकार मिला हुआ है। लोगों को यह अधिकार मिला हुआ है कि हम अपनी मर्जी से सेलिब्रेट कर सकते हैं, लेकिन यहां यह ध्यान रहे कि किसी और की लाइफ एंड लिबर्टी में दखल नहीं दिया जा सकता।

स्वस्थ्य व प्रदूषण रहित जिंदगी

कानून के मुताबिक मूल अधिकार के नाम पर किसी और के मूल अधिकार में दखल नहीं दिया जा सकता। लाइफ एंड लिबर्टी के तहत मिले अधिकार में स्वस्थ्य व प्रदूषण रहित जिंदगी शामिल है और इस तरह इसमें खलल नहीं डाला जा सकता। किसी और के मूल अधिकार में दखल की इजाजत संविधान नहीं देता है।

80 डेसी से ज्यादा नहीं आवाज

किसी भी शख्स के सुनने की क्षमता 80 डेसीबल तक होती है और इस सीमा तक आवाज को झेला जा सकता है, लेकिन इससे ज्यादा आवाज सेहत के लिए ठीक नहीं है, जबकि फायर क्रैकर की आवाज 125 डेसीबल तक होती है और इस तरह से 10 बजे रात के बाद इसे बैन किया गया है।

हो सकता है केस दर्ज

कानून के जानकारों के अनुसार अगर कोई शख्स रात के 10 बजे के बाद पटाखा चलाता है और इससे किसी को परेशानी होती है तो वह 100 नंबर पर कॉल कर सकता है। पुलिस ऐसे मामले में आईपीसी की धारा-188 के तहत केस दर्ज कर सकती है।

छह महीने की कैद

पुलिस चाहे तो सीधे भी इस तरह के शोर पर केस दर्ज कर सकती है। ऐसे मामले में बनाए गए आरोपी के खिलाफ अगर केस साबित हो जाए तो 6 माह कैद की सजा का प्रावधान है। साथ ही तय सीमा से ज्यादा प्रदूषण होने पर प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के सामने भी शिकायत की जा सकती है।

सुप्रीम कोर्ट के अनुसार

कानूनी जानकार बताते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने इस सिलसिले में 2005 में दिए अपने एक ऐतिहासिक जजमेंट में नॉइज पॉल्यूशन और उसके विपरीत प्रभाव की विस्तार से चर्चा की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस दौरान क्रैकर से लेकर गाडि़यों से होने वाले नॉयज पॉल्यूशन के बारे में विस्तार से बताया था। कोर्ट ने इस दौरान कहा था कि फायर क्रैकर दो तरह के होते हैं एक ध्वनि वाले और दूसरे प्रकाश वाले। अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि रात 10 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक आवाज वाले फायर क्रैकर बैन होंगे।

शोर पर ये है सजा

- पुलिस ऐसे मामलों में आईपीसी की धारा-188 के तहत केस दर्ज कर सकती है।

- पुलिस अगर चाहे तो सीधे भी इस तरह के शोर पर मामला दर्ज कर सकती है।

- केस साबित होने पर 6 महीने तक कैद की सजा का प्रावधान हैं।

- प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड से भी की जा सकती है शिकायत।

मेरठ में यहां करें शिकायत

मेरठ में आप अगर नॉयज या एयर पॉल्यूशन की शिकायत करना चाहते हैं तो पल्लवपुरम फेज-1 स्थित लोकल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के ऑफिस में फोन कर सकते हैं। आप ह्मश्रद्वद्गद्गह्मह्वह्ल@ह्वश्चश्चष्ढ्ड.ष्श्रद्व पर ईमेल करें। या फिर रीजनल ऑफिस के ऑफिसर के मोबाइल नंबर 8765925496 पर संपर्क कर सकते हैं। वहीं ऑफिस के नंबर 01212577676 पर भी संपर्क कर सकते हैं।

वर्जन

हमने एयर और नॉयज पॉल्यूशन को चेक करने के लिए तीन टीमें बनाई हैं। जो पूरे शहर में भ्रमण कर चेक करेगी। साथ ही जो ज्यादा नॉयज और एयर पॉल्यूशन करता मिला उसे ऐसा करने से रोकेगी। हम पूरा प्रसास करेंगे कि ज्यादा पॉल्यूशन न हो।

- डॉ। बीबी अवस्थी, रीजनल ऑफिसर, पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड मेरठ

Posted By: Inextlive