जिंबाब्वे क्रिकेट टीम के सीनियर क्रिकेटर हेमिल्टन मसकजादा ने संन्यास लेने की घोषणा कर दी है। मसकजादा बांग्लादेश में होने वाली टी-20 ट्राई सीरीज के बाद क्रिकेट को हमेशा के लिए अलविदा कह देंगे।


कानपुर। जिंबाब्वे क्रिकेट टीम के कप्तान हेमिल्टन मसकजादा ने इंटरनेशनल क्रिकेट से रिटायरमेंट की एनाउंसमेंट कर दी है। 36 साल के मसकजादा बांग्लादेश में होने वाली टी-20 ट्राई सीरीज में अपना आखिरी मैच खेलेंगे। मंगलवार को हरारे स्पोर्ट्स क्लब में प्रेस कांफ्रेंस करते हुए मसकजादा ने कहा, 'काफी सालों से क्रिकेट खेलने के बाद आखिरकार मैंने क्रिकेट के सभी फाॅर्मेट से संन्यास लेने का फैसला कर लिया है। अपने देश के लिए खेलना मेरे लिए गर्व की बात है। रिटायरमेंट का डिसीजन लेना मेरे लिए काफी कठिन था।'इंटरनेशनल क्रिकेट में शानदार आगाज


9 अगस्त 1983 को हरारे में जन्में हेमिल्टन मसकजादा जिंबाब्वे के सबसे चर्चित क्रिकेटरों में शुमार हैं। हेमिल्टन ने कम उम्र में ही क्रिकेट में बड़ा मुकाम हासिल कर लिया था। सबसे कम उम्र में टेस्ट शतक लगाने वाले जिंबाब्वे खिलाड़ी हों या एक सीरीज में सर्वाधिक रन बनाने वाले जिंबाब्वे के बल्लेबाज, मसकजादा ने 18 साल के करियर में कई शानदार प्रदर्शन किए।17 साल की उम्र में जड़ा टेस्ट शतक

हेमिल्टन मसकजादा के नाम सबसे कम उम्र में टेस्ट शतक लगाने का संयुक्त रूप से रिकाॅर्ड है। मसकजादा ने 2001 में वेस्टइंडीज के खिलाफ हरारे में 119 रन की पारी खेली थी। उस वक्त मसकजादा की उम्र 17 साल थी। हालांकि इसी उम्र में सचिन तेंदुलकर सहित तीन अन्य क्रिकेटरों ने भी टेस्ट सेंचुरी लगाई थी। मगर सबकी उम्र में दिनों का फर्क है। हालांकि जिंबाब्वे की तरफ ये कारनामा करने वाले मसकजादा इकलौते खिलाड़ी हैं। यही नहीं हैमिल्टन पहले अश्वेत खिलाड़ी भी थे जिन्होंने अपने देश के इतनी कम उम्र में शतक लगाया।पढ़ाई पूरी करने के लिए छोड़ दिया क्रिकेटडेब्यू टेस्ट में शतक लगाने के बाद मसकजादा कुछ मैच खेलने के बाद दोबारा जिंबाब्वे क्रिकेट टीम में नजर नहीं आए। दरअसल हैमिल्टन को अपनी पढ़ाई पूरी करनी थी जिसके लिए तीन साल तक उन्होंने क्रिकेट से ब्रेक ले लिया और यूनिवर्सिटी ऑफ फ्री स्टेट में ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने लगे। हालांकि जिंबाब्वे क्रिकेट बोर्ड ने उन्हें इस शर्त पर पढ़ाई के लिए भेजा जब भी टीम को उनकी जरूरत पड़ेगी वह तुरंत आ जाएंगे। हालांकि तीन साल बाद हैमिल्टन जब वापस लौटे तो उनकी फाॅर्म खो चुकी थी, ऐसे में सलेक्टर्स ने उन्हें टीम में न रखने का निर्णय लिया।दूसरा शतक लगाने में लगे 10 साल

साल 2002 में जिंबाब्वे के लिए आखिरी टेस्ट खेलने के बाद मसकजादा की नेशनल टीम में इंट्री तीन साल बाद हुई। 2005 में बांग्लादेश के खिलाफ सीरीज में हैमिल्टन को टेस्ट खेलने का मौका मिला मगर इस शानदार बल्लेबाज को दूसरी सेंचुरी लगाने में काफी वक्त लग गया। मसकजादा ने डेब्यू टेस्ट में शतक लगाने के बाद दूसरा शतक 10 साल बाद लगाया। साल 2011 में बांग्लादेश के खिलाफ मैच में मसकजादा ने 104 रन की पारी खेली थी। जिंबाब्वे के लिए 38 टेस्ट खेलने वाले मसकजादा के नाम 2223 रन दर्ज हैं जिसमें 5 शतक और 8 अर्धशतक भी शामिल हैं। टेस्ट में हैमिल्टन का हाईएस्ट स्कोर 158 रन है।वेस्टइंडीज दौरा खत्म, जानें सितंबर में टीम इंडिया का किससे और कब होगा मुकाबलाएक रिकाॅर्ड जो कोहली भी नहीं तोड़ पाए
वनडे क्रिकेट की बात करें तो मसकजादा के नाम 209 मैचों में 27.73  की औसत से 5658 रन दर्ज हैं। इसमें पांच शतक और 34 अर्धशतक दर्ज हैं। बता दें वनडे में एक रिकाॅर्ड ऐसा है जिसमें मसकजादा का नाम विराट कोहली से ऊपर आता है। ये रिकाॅर्ड पांच मैचों की बाइलिटरल सीरीज में सबसे अधिक रन बनाने का है। जिसमें टाॅप पर पाकिस्तान के फखर जमान हैं जिन्होंने 515 रन बनाए हैं वहीं दूसरे नंबर पर हेमिल्टन मसकजादा हैं जिनके 467 रन हैं इसके बाद विराट कोहली का नाम आता है जिन्होने 453 रन बनाए हैं।

Posted By: Abhishek Kumar Tiwari