नई दिल्ली (पीटीआई)। केंद्र सरकार ने पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि वह 2 करोड़ रुपये तक के लोन की ईएमआई पर ब्याज नहीं लेगी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जानकारी मांगी कि क्या 2 करोड़ रुपये तक के लोन से आम आदमी प्रभावित है तो उन्हे राहत देने के लिए क्या सार्थक कदम उठाए गए। महामारी के दौरान केंद्र सरकार द्वारा लोन की ईएमआई बाद में चुकाने की छूट देने का फैसला स्वागत योग्य है लेकिन आम आदमी को राहत देने के लिए अथाॅरिटी ने कोई आदेश जारी नहीं किया।

सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई 2 नवंबर को

जस्टिस अशोक भूषण की अगुआई में बेंच ने कहा कि कुछ ठोस करने की जरूरत है। 2 करोड़ रुपये तक के लोन लेने वालों का ब्याज माफ करके उन्हें जितनी जल्दी हो सके उतनी जल्दी राहत दी जानी चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय इस मामले की अगली सुनवाई 2 नवंबर को करेगी। कोर्ट ने केंद्र सरकार और बैंकों से कहा कि 'दिवाली आप लोगों के हाथ' में है। हाल में ही केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि आर्थिक नीतियों से अलग सरकार पहले ही कदम उठा चुकी है।

ब्याज माफी से प्रभावित होगी अर्थव्यवस्था

सरकार ने महामारी को देखते हुए लोन पर छह महीने तक ईएमआई चुकाने से राहत दी थी। सरकार का कहना था कि इस अवधि में 2 करोड़ रुपये तक के लोन की ईएमआई पर चक्रवृद्धि ब्याज माफ करने जैसे फैसले से समग्र आर्थिक परिदृश्य और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। यही वजह है कि बैंक इस प्रकार के वित्तीय रिस्क लेने से बच रहे हैं। कोरोना वायरस महामारी के दौरान छह महीने के लिए लोन की ईएमआई माफी करने के सरकार के फैसले से संबंधित कई याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है।

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