14 करोड़ 9 लाख रुपये की सब्िसडी
सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत कार्यकर्ता सुभाष अगवाल ने संसद कैंटीन में खाने-पीने की चीजों को लेकर जानकारी मांगी थी। जिसमें लोकसभा सचिवालय ने बताया कि साल 2013-14 के दौरान सचिवालय ने 14 करोड़ 9 लाख रुपये की सब्िसडी कैंटीनों के लिए प्रदान की। आरटीई के जवाब में कहा गया है कि संसद कैंटीन रेट में दिसंबर 2002, अप्रैल 2003 और दिसंबर 2010 में इजाफा किया गया था। यानि कि 2010-15 के बीच कोई बढ़ोत्तरी नहीं की गई। जबकि इन 5 सालों में महंगाई दर कई गुना बढ़ चुकी है।

लागत ज्यादा दाम कम
इस जानकारी में यह भी पता चला कि कैंटीनों में मसाला-डोसा की कीमत सिर्फ 6 रुपये है। लेकिन इसे बनाने में जो सामग्री इस्तेमाल होती है, उसकी कीमत उत्तरी रेलवे को 23.26 रुपये पड़ रही है। वहीं बाजार में इसकी कीमत 60 रुपये के आसपास है। इसी प्रकार मटन करी 20 रुपये में मिलती है जबकि उसकी कीमत 61.36 रुपये पड़ रही है। नानवेज थाली की कीमत 33 रुपये है, लेकिन इसमें 99.04 रुपये की सामग्री इस्तेमाल होती है। इसी कड़ी में दाल फ्राई की बात करें, तो 13.11 रुपये की लागत में बनने वाली यह डिश कैंटीन में सिर्फ 4 रुपये की मिलती है।

कौन है गरीब?
देश की संसद जहां से हमारे द्वारा चुने गए प्रतिनिधि आम जनता से जुड़े फैसले लेते हैं। शिक्षा का विकास हो या फिर खाने-पीने की बात, सभी मुद्दों पर बहस जारी रहती है। हालांकि यह बहस कभी 14 रुपये की भोजन थाली, तो कभी 5 रुपये में भरपेट खाने को लेकर होती है। वैसे यह बहस माननीयों के बीच ही होती है। जिन्हें जमीनी हकीकत की कोई जानकारी नहीं होती। और हो भी कैसे, जब संसद कैंटीन में इन सांसदों का पेट 6 रुपये के मसाला डोसा में भर जाता है तो उन्हें जनता के लिए 14 रुपये की थाली ज्यादा कीमत की लगेगी ही।

संसद की कैंटीन में ये सब है सस्ता :-

(1) स्टीव वेजीटेबल - 4 Rs.
(2) ब्यॉल वेजिटेबल - 5 Rs.
(3) फ्राइड फिश विद चिप्स - 25 Rs.
(4) चिकेन करी - 29 Rs.
(5) मटन करी - 20 Rs.
(6) उबला अंडा - 4 Rs.
(7) मसाल डोसा - 6 Rs.

Hindi News from India News Desk

 

National News inextlive from India News Desk