ऑनलाइन के दौर में भी लग रही बिलिंग और शिकायतों के निस्तारण के लिए लंबी कतारें

Meerut। साल बीत गया लेकिन सरकारी विभागों की कार्यप्रणाली और सुविधाओं में बदलाव के नाम पर कोई बड़ा परिवर्तन नहीं आया। हालांकि इन सरकारी विभागों के हालत में बदलाव के लिए योजनाएं भी कई बनी और व्यवस्थाएं भी ऑनलाइन हुई, लेकिन बावजूद इसके विभाग के हालात में 19-20 का ही फर्क आया।

कम नहीं हुई कतार

इस साल आरटीओ कार्यालय की अधिकतर सभी सेवाएं ऑनलाइन कर दी गई इसमें लाइसेंस आवेदन से लेकर फीस जमा करने तक की सुविधा ऑनलाइन कर दी गई। ताकि आवेदकों को विभाग में आकर परेशान न होना पडे। इसके लिए सारथी 4.0, वाहन सॉफ्टवेयर पर कई नई सुविधाएं जोड़ी गई। लेकिन इसके बाद भी आरटीओ कार्यालय में आवेदकों की कतारों की लंबाई में मामूली कमी आई है।

प्रमाणपत्रों में उलझे लोग

नगर निगम ने भी अपने टैक्स को जमा कराने के लिए ऑनलाइन व्यवस्था तो शुरु की लेकिन इससे भी नगर निगम के काउंटर पर टैक्स की कतारें कम नही हुई। वहीं जन्म, मृत्यु, एनओसी, आय आदि प्रमाण पत्रों के लिए भी विभाग द्वारा ऑनलाइन सुविधा शुरु होने के बाद भी प्रमाण पत्रों के सत्यापन से लेकर शिकायतों के निस्तारण तक के लिए आवेदकों को काउंटर पर धक्के खाने पड़ रहे हैं।

कम नहीं हुई शिकायतें

वहीं आवास विकास ने भी अपनी संपत्तियों की बिक्री से लेकन भवनों के नक्शे स्वीकृत कराने की व्यवस्था ऑनलाइन कर दी लेकिन बावजूद इसके नक्शों की स्वीकृत के दौरान आने वाली अड़चनों को दूर कराने के आवेदकों को विभाग में चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।

बिजली विभाग की कतारें हुई कम

बिजली विभाग ने अपनी बिलिंग प्रक्रिया को ओर अधिक बेहतर करते हुए ऑनलाइन बिलिंग के विकल्प को मजबूत किया। इससे बिजलीघरों के बिलिंग काउंटर पर आवेदकों की कतारें तो कम हुई लेकिन शिकायत निस्तारण के लिए आज भी आवेदक बिजलीघरों के चक्कर काटने को मजबूर है।

नकल के लिए लगता है पूरा दिन

आज भी राजस्व विभाग में 'नकल' हासिल करने के लिए पूरा दिन लगता है। वही खसरा, खतौनी हासिल करनी हो तो कई-कई दिन चल रहे हैं। हालांकि सरकार के निर्देश पर ऑनलाइन सिस्टम है किंतु यह प्रभावी नहीं है। जिला मुख्यालय (कलक्ट्रेट) में निर्वाचन कार्यालय, आ‌र्म्स लाइसेंस कार्यालय, राजस्व विभाग में आज भी लंबी लाइन लग रही है। ऑनलाइन प्रक्रिया का आमजन लाभ नहीं ले पा रहा है। कमोवेश तहसील कार्यालयों में भी विभिन्न सेवाओं का लाभ 'सेवा' के बाद ही मिल रहा है।

नामांतरण एक बड़ी प्रक्रिया

मेरठ विकास प्राधिकरण में यूं तो ज्यादातर सेवाएं ऑनलाइन हैं किंतु नक्शा एप्रूवल से लेकर नामांतरण में विभागीय कर्मचारियों की लापरवाही से लोग चक्कर काट रहे हैं। वहीं आम आदमी यहां जमकर ठगा भी जाता है। विभाग में फैले भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए अधिकारी भी अक्षम साबित हो रहे हैं।

लाभार्थी काट रहे चक्कर

बता करके विकास भवन की तो यहां विभिन्न विभागों में गरीब, असहाय और अंत्योदय वर्ग के लिए सैकड़ों लाभकारी योजनाओं का संचालन हो रहा है। आलम यह है यहां गरीब लाभार्थियों को बिना 'सेवा' के लाभ नहीं मिल रहा है। पटलों पर कर्मचारी यहां लाभार्थियों को लगातार चक्कर कटा रहे हैं।