मुश्किल
मैदान में खिलाडि़यों को एस्टोटर्फ की जरुरत
सुविधाएं मिले तो हॉकी में भी दिखेगा हुनर
-शासन से कई बार कर चुके है एस्टोटर्फ की मांग
-मेरठ से भी निकल चुके है अनेक नेशनल खिलाड़ी
Meerut । शहर में हॉकी खिलाडि़यों की प्रतिभाओं की कमी नहीं है। बस उन्हें आधुनिक सुविधाएं मिलें तो वे भी नाम रोशन कर सकते हैं। मेरठ के खिलाडि़यों को एस्टोटर्फ की जरूरत है। यदि वह मिल जाए तो मेरठ से भी मेजर ध्यानचंद जैसे खिलाड़ी निकल सकते हैं। मेरठ का नाम रोशन कर सकते हैं। एस्टोटर्फ के लिए कोच कई बार शासन से मांग कर चुके हैं। लेकिन अभी तक मांग पूरी नहीं हुई है।
खिलाडि़यों की करते हैं मदद
हॉकी कोच केपी सिंह गरीब खिलाड़ी बच्चों की मदद करते हैं। इस साल केपी सिंह ने तीस खिलाडि़यों को स्टेडियम की ओर से हॉकी दिलवाई थी। वह सुबह और शाम हॉकी खिलाडि़यों को कोचिंग देते हैं।
25 साल से हैं कोच
केपी सिंह बीते 25 साल से स्टेडियम में हॉकी खिलाडि़यों को कोचिंग दे रहे हैं। वह प्रतिदिन सुबह पांच बजे और शाम को चार बजे स्टेडियम में पहुंच जाते है। बीते 25 साल से इनका यही रुटीन बना है।
कैलाश प्रकाश स्टेडियम का ग्राउंड पूरी तरह से तैयार नहीं है। ऐसे में मैच के दौरान काफी कठनियाइयों का सामना करना पड़ेगा।
-तनीशा
ग्राउंड पूरी तरह से मेंटेन नहीं किया गया है। किसी भी मैच में ग्राउंड का अहम रोल होता है। एस्ट्रोट्रैप ग्राउंड मिलना चाहिए।
-गायत्री
हॉकी में प्लेइंग ग्राउंड का बड़ा रोल है। एस्ट्रोट्रैप ग्राउंड का होना जरूरी है। कैलाश प्रकाश स्टेडियम का ग्राउंड खेलने लायक नहीं है।
-शिवम
खराब ग्राउंड होने का सीधा असर खेल पर पड़ेगा। जिससे खिलाड़ी की परफॉरमेंस प्रभावित होती है। ग्राउंड सही रूप से मेंटेंन होना चाहिए था।
-सिद्धार्थ