कोच्चि (एएनआई) । Manipur Violence : मणिपुर में दो जनजातियों कुकी और मैतेई के बीच संघर्ष के बाद से हालात गंभीर हैं। यहां हिंसा की घटनाएं जारी हैं। हाल ही में आंदोलनकारियों ने राजधानी इंफाल में केंद्रीय मंत्री राजकुमार रंजन सिंह के आवास में आग लगा दी है। केंद्रीय मंत्री मैतेई समुदाय के हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक गुरुवार की रात 1,000 से अधिक लोगों की भीड़ ने केंद्रीय मंत्री के आवास पर हमला किया। हालांकि उस समय आरके रंजन सिंह और उनके परिवार के सदस्य मौजूद नहीं थे। केंद्रीय मंत्री राजकुमार रंजन सिंह उस समय केरल में थे। आग से केंद्रीय मंत्री के घर पर काफी नुकसान हुआ है। इस घटना के बाद केंद्रीय मंत्री राजकुमार रंजन सिंह काफी नाराज हुए। उन्होंने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि मणिपुर में कानून और व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह से विफल है। मौजूदा सरकार शांति बनाए नहीं रख सकी, इसलिए केंद्र सरकार ने बहुत सारी सुरक्षा और रैपिड एक्शन फोर्स भेजी है।


आंख के बदले आंख से पूरी दुनिया अंधी हो जाएगी
मंत्री ने यह भी कहा कि जब घर में आग लगी थी, तो दमकल की गाड़ियां उस जगह में प्रवेश नहीं कर सकीं क्योंकि लोगों ने रुकावटें पैदा कीं। उन्होंने कहा कि उन्हें नहीं पता है कि आखिर वे क्यों हमला कर रहे हैं। कोई कारण नहीं है। मंत्री ने पहले बताया था कि करीब 50 बदमाशों ने उनके घर पर हमला किया था। उन्होंने लोगों से शांति की अपील की। इस दाैरान उन्होंने कहा कि आंख के बदले आंख से पूरी दुनिया अंधी हो जाएगी। हिंसा किसी भी कारण से मदद नहीं करती है। जो लोग इस हिंसा में लिप्त हैं वे देश के लिए बहुत बड़ा नुकसान कर रहे हैं। यह भी दर्शाता है कि वे मानवता के दुश्मन हैं। मणिपुर में बुधवार को ताजा हिंसा में नौ लोगों की मौत हो गई, जबकि 10 से अधिक लोग घायल हो गए।

मंत्रियों और विधायकों के घरों पर हमले जारी
मीडिया रिपाेर्ट्स के मुताबिक मणिपुर में मंत्रियों और विधायकों के घरों पर हमले जारी है। पिछले 20 दिन में यह चाैथी बार है। इससे पहले 14 जून को इंफाल के लाम्फेल इलाके में उद्योग मंत्री नेमचा किपजेन के घर में आग लगायी गयी थी। 8 जून को भाजपा विधायक सोराईसाम केबी के घर पर बम से हमला हुआ था। 28 मई को भी कांग्रेस विधायक रंजीत सिंह के घर पर हमला हुआ था। इसके पहले भी मणिपुर में मई के महीने में दंगे भड़के थे। उस समय मणिपुर में भड़की हिंसा के बाद यहां पर दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश जारी किए गए थे। हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में धारा 144 लागू कर दी गयी थी। इसके अलावा हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में इंडियन आर्मी तैनात की गयी थी।

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