- 21 दिन के लॉकडाउन की खबर के बाद जहां-तहां फंसे लोग

GORAKHPUR: देश में 21 दिन के लिए लॉकडाउन की खबर आने के बाद से उन लोगों की सांसे थम सी गईं जो जहां तहां फंसे हुए हैं। ऐसे दर्जनों लोग हैं जो अपने घर जाने के लिए परेशान हैं, लेकिन वे बीच मंझदार में फंस चुके हैं। अब उनके सामने भी खाने-पीने से लगाए हर तरह की दिक्कतें बढ़ गई हैं। ऐसे लोग पीएम को ई-मेल के जरिए अपना दर्द बयां कर रहे हैं।

पीएम को किया ई-मेल

डीडीयूजीयू फिजिक्स डिपार्टमेंट के असिस्टेंट टीचर डॉ। निखिल कुमार बताते हैं की उनकी पत्नी सृष्टि श्रीवास्तव डीआरडीओ के एटॉमिक एनर्जी डिपाटर्मेट में साइंटिस्ट हैं। उनकी पत्नी जहां दिल्ली में फंसी हुई हैं, वहीं निखिल बलरामपुर में फंसे हुए हैं। उन्हें इस बात का अंदाजा भी नहीं था कि वे इस कदर फंस जाएंगे। 21 दिन के लॉकडाउन की खबर उनके व उनकी वाइफ दोनों के लिए अब मुसीबत बन गई है। हालांकि वे यह भी कह रहे हैं कि कोरोना जैसे वायरस से लड़ने के लिए लॉकडाउन का होना बेहद जरूरी है तभी जाकर हम इस खतरनाक वायरस से निपट सकेंगे। उन्होंने अपने इस दर्द को पीएम नरेंद्र मोदी को बयां किया है।

परीक्षा फॉर्म भरवाने के लिए रुके थे गोरखपुर

वहीं तारामंडल स्थित इंदिरा गांधी ग‌र्ल्स कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ। रमेश सिंह बताते हैं की वे मूलरूप से प्रयागराज के रहने वाले हैं, उनकी तबीयत खराब है। उनका इलाज भी प्रयागराज में ही चलता है। चूंकि गोरखपुर में प्राइवेट कॉलेज के प्रिंसिपल हैं, ऐसे में उनका गोरखपुर से प्रयागराज आना-जाना लगा रहता है। बीएड परीक्षा के लिए स्टूडेंट्स के परीक्षा फॉर्म भरे जा रहे थे। परीक्षा फॉर्म भरवाने के लिए वे रुके थे। लेकिन इसी बीच 21 दिन के लॉकडाउन से वे फंस गए हैं। सुबह के वक्त भी किसी साधन के नहीं होने से वे उहापोह की स्थिति में हैं।

खाने पीने समेत ट्रांसपोर्टेशन की प्रॉब्लम

बैंक रोड स्थित यूटीआई म्युचुअल फंड में काम करने वाले सतीश कुमार मिश्रा बताते हैं कि वे यूटीआई गोरखपुर जनरल मैनेजर पद पर हैं। ऑफिस स्टॉफ के छुट्टी पर चले जाने और कस्टमर के नहीं आने पर वे अकेले फंस गए हैं। मूलरूप से वाराणसी के रहने वाले सतीश को खाने-पीने से लगाए ट्रांसपोर्टेशन की दिक्कत बढ़ गई है। वे बताते हैं की सुबह के 5.30 से 9.30 बजे के बीच वाराणसी भी नहीं पहुंच सकते। ऐसे में रुकना ही बेहतर होगा।