DEHRADUN: लोक सभा चुनाव को लेकर पूरे देश में गरमा-गरमी का माहौल है। सभी दल जनता को उनकी उपलब्धियों से लुभाने का प्रयास करने में लगे हैं। आखिर चुनाव को लेकर युवाओं की क्या आईड्रोलॉजी है। उनकी आने वाली सरकार से क्या अपेक्षाएं हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट द्वारा संडे को पटेलनगर स्थित चाय की दुकान में युवाओं ने राजनीटी में भाग लिया। उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले सभी राजनैतिक दल देश और राज्य के विकास के नाम पर वोट बटोरने का प्रयास करते हैं। लेकिन, सत्ता में आते ही उनको अपनी कही बाते तक याद नही रहती हैं, लेकिन अब ऐसा नही होगा। क्योंकि हमारे एक वोट में इतनी ताकत है कि सत्ता को पलट सकते है। वर्तमान में देश और राज्य को ऐसी सरकार की जरूरत है जो आतंकवाद के खिलाफ डटकर खड़ी रहे। चाहे युद्ध किसी भी बॉर्डर पर हो, लेकिन उसमें मरने वालों में हमारा उत्तराखंडी भाई भी होता है। आखिर कब तक हम अपने भाइयों की मौत का तमाशा देखते रहेंगे। आज जरूरत है एक ऐसी सरकार की जो आतंकवाद पर चोट करे ,उसको ही हम अपना वोट देंगे।

सरकार ने नई-नई नीतियों को रखा ध्यान
आज पूरे विश्व में भारत की प्रशंसा की जा रही है। वर्तमान सरकार ने अपनी नई-नई नीतियों और कार्यो से जनता के हीतो को ध्यान में रखते हुए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए जिनके माध्यम से देश वासियों को रोजगार के नए अवसर प्रदान किए। इससे उनका जीवन आसानी से चल सके। हमें ऐसी सरकार की जरूरत है जो शिक्षा के पुराने तरीकों को छोड़कर नए और बेहतर तरीके इजात करे। इसके अलावा महिला और बच्चों की सुरक्षा को इग्नोर न करे। जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए पॉलिसी बनाई जाए, जिससे देश और राज्य दोनों एक साथ तरक्की कर सकें।

मेरी बात
आज विश्व भर में भारत एक मिसाल बन चुका है। अगर इस छवि को बरकरार रखना है तो ऐसी सरकार चुननी होगी जो स्वार्थ को छोड़कर अपने कर्म को प्राथमिकता में रखें। अगर हर आदमी अपना काम सही तरीके से पूरा करेगा तो देश को उन्नति करने से कोई नही रोक सकता है। इसलिए ऐसी सरकार की जरूरत है जो हर नागरिक को उसके कर्तव्य और कार्य करने के लिए प्रोत्साहित न करे बल्कि उसके साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम भी करे।

 

 

-आशू रतुड़ी,

कड़क मुद्दा
आज के दौर में दूरदर्शी सोच रखने वाली सरकार की जरूरत है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण मोदी सरकार है। आतंकी हमले से पहले सारी पार्टियां मोदी के विदेश दौरे को लेकर चर्चा करते नही थकती थी, लेकिन पुलवामा आतंकी हमले के बाद जब सारे देश भारत को समर्थन में खड़े थे। तो उनकी बोलती बंद हो गई। ये केवल मोदी के कारण ही संभव हो पाया है।

-गौरव बुडाकोटी,

सतमोला खाओ कुछ भी पचाओ
लीडर दाल-चावल या पेट्रोल की कीमत को चुनाव का मुद्दा न बनाए बल्कि समस्या की जड़ को खत्म करने की कोशिश करें। साथ ही समस्या से निपटने के लिए हवा में बाते करने की बजाय जमीन से जुड़कर काम भी करे। उसकी जीत का मकसद केवल सत्ता पाना ना हो बल्कि राज्यहित उसकी प्राथमिकता हो।

आशीष गिरी

-हर सरकार पलायन के मुद्दे को अपने मेनिफेस्टो में शामिल करती है। लेकिन इतने साल बीत जाने के बाद भी पलायन कम नहीं हुआ। आज पौड़ी, टिहरी, उत्तरकाशी, चमोली के कई गांव ऐसे हैं जहां केवल एक या दो लोग ही रह गए हैं। इसलिए वोट बटोरने वाली नहीं बल्कि इसे रोकने वाली सरकार की जरूरत है। जो पलायन को रोकने में मेरा साथ देगा वही वोट का हकदार होगा।

अजय कुमार, स्टूडेंट

-आज देश का बच्चा-बच्चा आतंक के खिलाफ मुहंतोड़ जवाब देने को तैयार है। हर दिन कश्मीर में हमारे फौजी भाई देश रक्षा के लिए सीमा पर दिन रात पहरा दे रहे हैं, जिनकी सुरक्षा के लिए कोई ठोस नीति नही है। नौकरी में शहीदों के परिजनों को वरीयता मिलनी चाहिए, जो इस मुद्दे को चुनाव में उठाएगा मेरा वोट उसको जाएगा।

अमिताभ त्रिपाठी, स्टूडेंट

महिलाओं को शौचालय की सौगात देकर केंद्र सरकार ने बहुत ही सराहनीय काम किया है। राज्य सरकार को भी पहाड़ों में पानी की समस्या से निजात दिलाने के लिए काम करना होगा, ताकि लोगों को पानी के लिए घर से ज्यादा दूर ना जाना पडे।

-अंकित सक्सेना, स्टूडेंट

सत्ता पाने के बाद नेता खुद को अधिकारी समझने लगते हैं और ये भूल जाते हैं कि हमारे वोट में इतनी ताकत है कि उसे दौबारा जमीन पर ला सकते हैं। इसलिए जनता को आंकने वाली सरकार संभल जाए.देश की जनता अपनी ताकत जानती है।

-गौरव दुबे

 

सफाई के नाम पर झाडू लेकर फोटो क्लिक करने वाला हर व्यक्ति सफाई नही कर सकता। दरअसल जब देश के प्रधानमंत्री ने हाथ में झाडू लिया,तो नेताओं ने भी झाडू लेकर सेल्फी खिचना शुरू कर दिया, लेकिन ये भारत की जनता है जो सब कुछ जानती है। -जितेंद्र यादव

 

महिला सशक्तीकरण और सुरक्षा पर कड़े नियम बनाने की जरूरत है ताकि महिलाएं सुरक्षित महसूस कर सके। आज महिलाएं और बच्चियां अपने घर में भी सुरक्षित नहीं हैं। उनके साथ दुष्कर्म करने वाले गुनाहगारों के लिए मौत की सजा तय करनी होगी ताकि दुष्कर्म करने से पहले व्यक्ति परिणाम के बारे में कई बार सोचें।

-कमल चौहान

 

नोटबंदी के कारण घोटालेबाजों को तगड़ा झटका लगा है, जिससे चोरों के खजाने एक झटके में खाली हो गए। मेरे हिसाब से ऐसी नीति बनाने की जरूरत है, जिसमें जनगणना की तरह हर 10 साल में नोटबंदी भी हो, ताकि देश के अंदर रहने वाले बचे हुए चोरों के खजानों में कुछ भी न बच सके।

-प्रतीक कुमार