बुधवार को अपनी मौत से पहले फ्रैंकलिन ने कुछ नहीं कहा और स्थानीय समय के अनुसार 6.17 बजे उन्हें मृत घोषित किया गया.

63 वर्षीय फ्रैंकलिन इसके अलावा सात और नस्ली नजरिए से प्रेरित हत्याओं के दोषी थे. हालांकि वो ख़ुद 20 लोगों की हत्या का दावा करते थे.

उन्हें मौत की सज़ा सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के बाद दी गई है जिसमें सज़ा पर रोक हटाने के अपीली अदालत के फैसले को बरकरार रखा गया.

‘नस्लीय विचारधारा छोड़ी’

1978 में फ्रैंकलिन ने हस्टलर पत्रिका के प्रकाशक लैरी फ्लिंट को गोलीबारी में निशाना बनाया जिसमें वो आंशिक रूप से लकवे का शिकार हो गए.

"मैंने जेल में काले लोगों से बातचीत की. मैंने पाया कि वो हम जैसे ही लोग हैं."

-फ्रैंकलिन जोसेफ, एक इंटरव्यू में

फ्रैंकलिन ने फ्लिंट की पत्रिका में अलग अलग नस्लों वाले जोड़े की तस्वीर देख कर उन्हें निशाना बनाया. लेकिन मौत की सज़ा का विरोध करने वाले फ्लिंट ने फ्रैंकलिन की मौत की सज़ा पर अमल को रोकने के लिए मुकदमा किया.

सोमवार को सेंट लुईस पोस्ट डिसपैच अखबार में प्रकाशित अपने इंटरव्यू में फ्रैंकलिन ने कहा कि उन्होंने अपनी नस्लीय विचारधारा छोड़ दी है. उन्होंने कहा कि उनका मकसद बेतुका था और उनकी खराब परवरिश इसके लिए कुछ हद तक जिम्मेदार रही.

उन्होंने कहा, “मैंने जेल में काले लोगों से बातचीत की. मैंने पाया कि वो हम जैसे ही लोग हैं.”

फ्रैंकलिन ने 16 बैंक भी लूटे थे.

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