अगले साल फरवरी से पूरे देश में मोबाइल नंबर पोर्टेबिलिटी (एमएनपी) की सुविधा लागू हो जाएगी. ससे एक सर्किल से दूसरे सर्किल में जाने के बावजूद वही मोबाइल नंबर बनाए रखना पॉसिबल होगा. टेलीकॉम मिनिस्टर कपिल सिब्बल ने यह एलान किया. वहीं पीएम नमोहन सिंह ने उम्मीद जताई कि टेलीकॉम इंडस्ट्री  मुश्किलें जल्द खत्म होंगी. दोनों इंडिया टेलीकॉम 2012 को संबोधित कर रहे थे.

सिब्बल ने कहा कि 2012 की दूरसंचार नीति को समय पर लागू करने के लिए दूरसंचार विभाग (डॉट) ने तीन महीने (दिसंबर से फरवरी) का व्यापक कार्यक्रम तैयार किया है. नेशनवाइड नंबर पोर्टेबिलिटी के अलावा स्पेक्ट्रम आवंटन एवं कीमत, एकीकृत लाइसेंस व्यवस्था, स्पेक्ट्रम हिस्सेदारी के दिशानिर्देश तथा अनुसंधान-विकास व मैन्यूफैक्चरिंग के लिए कोष का गठन जैसी चीजें भी फरवरी तक पूरी कर ली जाएंगी.

सर्किल बदलते बदल जाता था नंबर

अभी मोबाइल यूजर्स वल अपने सर्किल में ऑपरेटर बदलने के बावजूद पुराना नंबर बनाए रख सकते हैं. सर्किल से बाहर जाने पर उन्हें यह फैसिलिटीज नहीं है. लेकिन, 2012 की राष्ट्रीय दूरसंचार नीति के तहत फरवरी, 2013 से यह भी पॉसिबल हो जाएगा. तब मोबाइल धारक अपने सर्किल से बाहर भी कहीं जाएंगे और यदि चाहेंगे तो उनका पहले वाला नंबर ही बना रहेगा.

भारत में 22 टेलीकॉम सर्किल हैं. दूरसंचार नियामक ट्राई के मुताबिक अक्टूबर 2012 के अंत तक करीब सात करोड़ 51 लाख 40 हजार मोबाइल ऑपरेटर  अपने ऑपरेटर से नंबर पोर्टेबिलिटी का अनुरोध किया था. प्रोग्राम को इनॉगरेट करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि दूरसंचार क्षेत्र की मुश्किलें दूर हो रही हैं और उम्मीद है कि सिब्बल के नेतृत्व में ये जल्द खत्म होंगी. नई दूरसंचार नीति से निवेशकों की चिंताओं का समाधान होने के साथ विकास को गति मिलेगी.

पिछले कुछ महीनों में इस क्षेत्र को परेशानियों का सामना करना पड़ा है. लेकिन, अब बाजार से जुड़ी प्रक्रिया के तहत स्पेक्ट्रम का पारदर्शी ढंग से आवंटन हो गया है. अर्बन एरिया में  संचार तंत्र बढिय़ा हुआ है, लेकिन ग्रामीण रूरल एरियाज में अब भी केवल 41 फीसद लोगों को फोन सुविधा हासिल है. जिन 59 फीसद लोगों के पास फोन नहीं हैं, उनमें ज्यादातर गरीब व पिछड़े हैं.

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