रुश्दी ने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, "मैं मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को लेकर काफी चिंतित हूँ. इसके 'दबंग' होने के संकेत पहले से मौजूद हैं. पहले से ही पत्रकारों और लेखकों को डराया-धमकाया जाता रहा है जबकि भाजपा फिलहाल सत्ता में नहीं है."
रुश्दी न्यूयॉर्क में हो रहे दसवें वार्षिक 'पेन वर्ल्ड वॉयस फेस्टिवल' में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर भाषण दे रहे थे.
'भारत के नेता, मोदी' विषय पर अपनी बात रखते हुए उन्होंने कहा, "आप देख चुके हैं कि मीडिया संस्थानों में 'सेल्फ़ सेंशरशिप' का माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है. इससे लोगों में डर पैदा हो गया है. वे सोचने लगे हैं कि अगर मोदी समर्थकों की मर्जी के खिलाफ वे कुछ करेंगे तो उन्हें परेशान किया जाएगा."
रुश्दी ने कहा कि भारत में नरेंद्र मोदी जैसा राजनेता पहले कभी नहीं हुआ. साथ ही, उन्होंने भाजपा के जीतने और मोदी के प्रधानमंत्री बनने की संभावना भी जताई. रुश्दी ने कहा, "अब देखना ये है कि काम का अनुभव उन्हें संयमित करता है या नहीं".
अभिव्यक्ति की आजादी
साहित्यिक उत्सव के उद्घाटन भाषण के दौरान रुश्दी ने मोदी को "कट्टरपंथियों में भी कट्टरपंथी" और 'निहायत विभाजनकारी व्यक्तित्व' बताया. रुश्दी ने चिंता जाहिर की कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार में जनता की अभिव्यक्ति और साहित्यिक गतिविधियों की आजादी खतरे में आ सकती है.
उन्होंने कहा कि भारत के लिए लोकतंत्र का मतलब केवल स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव का भर नहीं है बल्कि यह भी है कि नागरिकों के बोलने के अधिकार पर किसी तरह की कोई आंच ना आए.
"हमें आने वाली नई दमनकारी और दबंग सरकार की चिंता है. "
-सलमान रुश्दी, भारतीय मूल के अंग्रेजी लेखक
रुश्दी बोले, "यदि अभिव्यक्ति की आजादी पर हमले होते हैं, धार्मिक स्वतंत्रता खतरे में पड़ती है और समाज आजादी को लेकर सशंकित रहता है तो ऐसे समाज को सच्चा लोकतंत्र नहीं कहा जा सकता."
उन्होंने अपनी किताब पर लगे प्रतिबंध की चर्चा करते हुए कहा कि आज भारत में ऐसी अनेक समस्याएं मौजूद है, जो धीरे धीरे गंभीर रूप लेती जा रही हैं. उन्होंने कहा कि जब से 'सेटेनिक वर्सेज' पर प्रतिबंध लगा है साहित्य, शोध और कला की स्वतंत्रता पर हो रहे हमलों ने गंभीर रूप ले लिया है.
लेखकों और कलाकारों पर निशाना
पिछले महीने, रुश्दी और शिल्पकार अनीश कपूर ने भारतीय मूल के कई अन्य लेखकों, रचनाकारों और वकीलों के साथ "मोदी के उभार के ख़तरे" वाले एक खुले खत पर अपने हस्ताक्षर किए थे.
रुश्दी ने खत के बारे में बताते हुए कहा, "भारत में सोशल मीडिया में हम पर हमले तेज होते जा रहे हैं, इससे हमारा डर और पुख्ता हुआ है. हमें आने वाली नई दमनकारी सरकार की चिंता है."
रुश्दी ने कहा, "भारत में बोलने की आजादी और धार्मिक आजादी दोनों पर हमले बढ रहे हैं. लेखकों और कलाकारों को निशाना बनाया जा रहा है. ऐसा सिर्फ इसलिए क्योंकि आबादी के एक हिस्से को उनका काम आपत्तिजनक लगता है."
अमरीकी लेखक वेंडी डोनिगर की हिंदू धर्म पर लिखी गई किताब पर लगे प्रतिबंध और एमएफ हुसैन पर हुए हमलों का जिक्र करते हुए रुश्दी ने कहा कि ऐसी घटनाएँ लगातार बढती ही जा रही हैं. मगर अफसोस कि सरकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हो रहे इन हमले को रोकने में विफल रही है.
नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर के मशहूर रचना, "वेयर द माइंड इज विदाउट फियर" का जिक्र करते हुए रुश्दी कहते हैं, "भारत में रवींद्रनाथ टैगोर जैसे महान कलाकार की विरासत खतरे में है.
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