नई दिल्ली (एएनआई)। वरिष्ठ कांग्रेस नेता और केंद्र में मंत्री रह चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बुधवार को बीजेपी का दामन थाम लिया। 18 सालों की सेवा के बाद मंगलवार को उन्होंने कांग्रेस पार्टी को अलविदा कह दिया था। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उन्हें मीडिया की मौजूदगी में शाॅल और बुके भेंट करके पार्टी ज्वाइन कराया।
सिंधिया ने कहा प्रदेश मेरा दिल, उसके लिए देखा सपना हुआ चूर-चूर
मध्य प्रदेश को अपना दिल बताते हुए सिंधिया ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि राज्य के लिए जो उन्होंने सपना देखा था वह पिछले 18 महीनों में चूर-चूर हो गया। यह सपना उन्होंने विधानसभा चुनाव में जीत के बाद जब कमलनाथ प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे तब देखा था। सिंधिया का पार्टी में स्वागत करते हुए बीजेपी अध्यक्ष नड्डा ने कहा कि उन्होंने वे अपने परिवार से जुड़े हैं। यह मौका बीजेपी और मेरे लिए खुशी का है। इस मौके पर मैं राजमाता सिंधिया... पूरा परिवार बीजेपी के साथ है।
#WATCH Live from Delhi: Jyotiraditya Scindia joins Bharatiya Janata Party (BJP), in presence of BJP President JP Nadda https://t.co/xBIMuF4CKZ
— ANI (@ANI) March 11, 2020
पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ प्रेस को किया संबोधित
चार बार से कांग्रेस के सांसद रह चुके सिंधिया नई दिल्ली स्थित बीजेपी मुख्यालय दोपहर करीब 2.30 बजे पहुंच गए। वहां उन्होंने पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और अन्य वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की। उन्होंने बीजेपी ज्वाइन करने के बाद पार्टी अध्यक्ष नड्डा और पार्टी के उपाध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धे के साथ प्रेस को संबोधित किया।
पीएम मोदी से की थी मुलाकात
मंगलवार को अमित शाह से मुलाकात के बाद सिंधिया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके आवास पर जाकर मुलाकात की थी। मुलाकातों के बाद सिंधिया ने वह चिट्ठी सार्वजनिक की जो उन्होंने कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी को लिखा था। इस खत में उन्होंने पार्टी छोड़ने की घोषणा की थी। यह इस्तीफा 9 मार्च का लिखा हुआ था।
यूपीए-1 और यूपीए-2 सरकारों में रहे थे मंत्री
सिंधिया के इस्तीफा देते ही उनके भरोसे वाले 22 विधायकों ने मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार का साथ छोड़ दिया। इसके बाद से ही मध्य प्रदेश सरकार संकट में घिर गई है। सिंधिया यूपीए-1 के कार्यकाल में सूचना और आईटी राज्य मंत्री थे। यूपीए-2 कार्यकाल में वे 2009 से 2012 के बीच वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री थे। 2012 से 2014 के बीच वे ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) थे।
पिता की मृत्यु के बाद गूना से चुने गए सांसद
वे नरेंद्र मोदी सरकार के प्रबल आलोचक थे। लोकसभा में उन्होंने मोदी सरकार के पहले कार्यकाल को लेकर चिंता व्यक्त की थी। सिंधिया एक राजनीति परिवार से ताल्लुक रखते हैं। पिता की विमान दुर्घना में मौत के बाद वे 2002 में पहली बार गूना से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। उनके पिता माधवराव सिंधिया 26 साल की उम्र में 1971 में लोकसभा के लिए चुने गए थे। इसके बाद वे लगातार 9 बार ग्वालियर और गूना संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीतते रहे। 2019 लोकसभा चुनाव में वे गूना से हार गए थे।
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