-धनरुआ के सोनमई में कुछ भी नहीं बदला, 50 परसेंट सड़कें अब भी कच्ची

- एमपी रामपकृपाल यादव के 'गांव' में कई जगह सड़कों पर ही बह रही नालियां

- स्वास्थ्य उपकेन्द्र में लटका रहता है ताला, ज्यादातर महिला-पुरुष खुले में करते हैं शौच

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PATNA: इस गांव से होकर कभी सोन नदी की एक शाखा गुजरती थी, इसलिए नाम पड़ा सोनमई. ये अलग बात है अब खेती के लिए पानी, खेत में बोरिंग कर ला रहे किसान. सोनमई भी अन्य गांवों की तरह ही है. हां, इसकी सबसे बड़ी खासियत ये है कि पाटलिपुत्रा लोकसभा के एमपी रामकृपाल यादव ने इस गांव को गोद लिया है. प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत.

लोगों को मालूम है ये बात

यहां के लोग जागरूक हैं. गांव में जहां से घर शुरू होता है वहां आई नेक्स्ट रिपोर्टर की मुलाकात सबसे पहले कुंदन से हुई. कुंदन सिक्स क्लास में पढ़ता है. पूछा कौन हैं तुम्हारे सांसद? उसने कहा रामकृपाल यादव. गांव आते हैं मिलने? तीन महीना पहले आए थे. आगे बढ़ने पर कुछ महिलाएं घर के बाहर दिखती हैं. दोपहर दो बजे घर के सारे काम सलटाकर चौखट पर सुस्ताती हुई. गांव के एक किसान बिनेश्वर जनेरा पटाने जा रहे थे. बिनेश्वर कहते हैं सांसद रामपकृपाल यादव ने कहा कि शौचालय सब लोग घर-घर बनवाइए. कई ने बनवा भी लिया, लेकिन अब तक पैसे नहीं मिले. ऐसे ही पांच साल कट जाएगा. गांव में सभी तक ई बात जरूर सांसद जी ने पहुंचा दिया गया है कि गांव को गोद ले लिया है. पिछले भाषण में उन्होंने कहा था- सोनमई गांव ने हमको गोद लिया है मैंने इसको गोद नहीं लिया है.

शौच जहां जाते थे, वहीं जाते हैं

खजकली देवी कम बोलती हैं. सवाल करने पर सोचती हैं. फिर थोड़े गुस्से से बोलती हैं, क्या बदला है पूछते हैं? शौच जहां पहले जाते थे अब भी वहीं जाते हैं. घर के सब लोग वैसे ही खेत में जाते हैं. दिन में कहां जाते हैं? कहां जाएंगे दिन में नहीं जाते हैं. रात में जाते हैं, चाहे खूब भोर में जाते हैं.

पता नहीं रुपए मिलेंगे कि नहीं

कई घरों में लोग खुद के रुपए से शौचालय बनवा रहे हैं. एक घर में शौचालय बनाने के लिए तीन टंकियां लगाई गई हैं. भगवती देवी सरसों चुनना छोड़कर उठ जाती हैं. कहती हैं साढ़े क्0 हजार में टंकी खरीद कर लाए हैं. रामकृपाल यादव ने कहा कि बनवा लीजिए अपना पैसा से बाद में मिल जाएगा. अब पता नहीं कब मिलेगा? मिलेगा भी कि नहीं?

खाली पेपर में छप रहा है

आगे बढ़ने पर धीरेन्द्र सिंह मिलते हैं अपनी दुकान पर. सोनमई को गोद लेने की बात पर वे कहते हैं एक साल से पेपर में छप रहा है भाषण और विकास का नारा. घर-घर शौचालय नहीं बना. पानी टंकी नहीं है. कुछ नहीं बना. पोल पर लाइट नहीं है. अपना लाइट लगाया है लोगों ने. ज्यादातर गलियों में अंधेरा रहता है.

पेड़ को भी नहीं मालूम क्यों लिया गोद

गांव में अशोक के पुराने पेड़ के नीचे बुजुर्ग आराम कर रहे हैं. इस पेड़ के नीचे कई चुनावी सभाएं हुईं. गांव में जिन-जिन लोगों ने आकर वोट की राजनीति की सब का गवाह है ये. अशोक ठंडा दे रहा है लोगों को. लोग गर्मी से राहत पाने घरों से निकल यहां बैठते हैं दोपहरी में. पेड़ के छांव में बैठे हर शख्स को मालूम है कि उसके गांव को गोद लिया है सांसद ने. जानकी प्रसाद किसान हैं. वे कहते हैं, जीतने के बाद एक बार आए रामकृपाल यादव. गोद लेने का कोई फायदा नहीं. पता नहीं क्यों गोद लिया सोनमई को. राजेन्द्र प्रसाद हाईस्कूल से रिटायर शिक्षक हैं. उन्हें भी नहीं मालूम क्यों लिया गांव को गोद.

सोनमई गांव का बोर्ड आंगन में

लोगों से मिलते-जुलते आगे बढ़ने पर चूड़े का मिल. सोनमई गांव का बोर्ड गाड़ी के धक्के से गिर गया. मिलवाले ने उसे अपने आंगन में सुरक्षित रखा है कि कोई आएगा, तो उसे दे दिया जाएगा फिर से लगाने के लिए. बाहर बेटी कुट्टी काटने की मशीन घुमा रही है और पिता उसमें चारा डाल रहे हैं. गांव की बेटियां पिता के साथ हर काम में मदद कर रही हैं. आगे बढ़ने पर कृषि परामर्श केन्द्र. केन्द्र के बाहर दो चापाकल लगे हैं. दोनों बेकार हैं.

ये उपस्वास्थ्य केन्द्र

एक उप स्वास्थ्य केन्द्र है, जिसमें ताला टलका है. नारे हैं चारों तरफ जागरूक करने वाले. लोग बताते हैं कि यहां डॉक्टर नहीं, बुधवार को दो नर्से आती हैं वही देखती हैं. इलाज कराने ज्यादातर लोग प्राइवेट डॉक्टर के पास ही जाते हैं. बीमारी बढ़ते ही लोग पटना भागते हैं पेशेंट को लेकर और आप कहते हैं कि गांव को गोद ले लिया है.

तीन फेज बिजली लाइन भी नहीं

गांव में तालाब नहीं है. लोग बोरिंग से सिंचाई करते हैं. बांस लगाकर लोग बिजली खींच रहे हैं. तीन फेज लाइन भी गांव में नहीं है. दो फेज ही लाइन है. इसमें भी एक फेज चोरों ने जब काट लिया तो गांव वालों ने चंदा कर इसे ठीक किया. गांव की कई दीवारों पर नारा जरूर दिखता है-जल छाजन अपनाना है, बिटिया को पढ़ाना है.

सभी सड़कें पक्की नहीं हो पाईं

गांव में पक्की सड़कें हैं, लेकिन तीन-चार सौ घर वाले इस गांव में पचास फीसदी से ज्यादा नहीं हैं पक्की सड़कें. भ्0 फीसदी सड़कें बरसात में नरक बन जाती है. अभी भी कई सड़कें नरक जैसी दिखती हैं. सोनमई बाजार की तरफ सड़क पर नालियां दिख जाती हैं बहती हुई. खड़ंजा ईंट की सड़कें ज्यादा दिखती हैं.

शाम ढलते ही सजा बड़का बाजार

सोनमई गांव का बड़का बाजार चार-साढ़े चार बजते-बजते सजने लगा. जलेबियां चासनी से बाहर आने लगी. समोसे पर छोले डाले जाने लगे. ताजी हरी सब्जियां बिकने लगी. पटना से सस्ती. पटना में भिन्डी ख्0 रुपए किलो तो यहां क्0 रुपए किलो. चूड़ी बाजार में महिलाएं हाथ में चूडि़यां पहनती देखी गई. तभी एक शख्स हाथ में एक बाल्टी कचरा लेकर गुजरता है. ये क्या है भई? क्या करें सफाई होती कहां है नालियों की. खुद से करनी पड़ती है. कई जगह नालियां हैं ही नहीं. ये सड़क आगे जाती है स्कूल की तरफ.

नई बिल्डिंग स्कूल की

मिडिल स्कूल की नई बिल्डिंग बन कर तैयार हुई है कुछ ही महीने पहले. बस यही एक नया और बड़ा कंस्ट्रक्शन दिखता है गांव में, लेकिन यहां भी टीचर की कमी है.

ये सब है यहां

गांव में पोस्ट ऑफिस है. एसबीआई बैंक है. मिडिल स्कूल और स्वास्थ्य उपकेन्द्र के साथ बीएसएनएल का टावर भी है. लेकिन जो नहीं है वह है ग‌र्ल्स हाई स्कूल और वेटनरी हॉस्पीटल.

ख्0 साल पहले और आज

एक किसान बताते हैं ख्0 साल पहले लाठा से सिंचाई होती थी अब तो बिजली से भी दिक्कत है. सिंचाई प्रबंधन ही नहीं. पइन भी खत्म.

मेरी झोपड़ी जल गई

गांव से लौटते समय आई नेक्स्ट की गाड़ी रोकती है लीला देवी. वह दिखाती है अपनी झोपड़ी. देखिए कैसे जल गया है. ख्ख् को ही जला है. बकरी मर गई जल कर. भैंस भी जल गया. सब गेहूं जल गया. आज कर्मचारी आए थे देखने. कुछ नहीं हो रहा.

अमलतास का पेड़ व सांसद की गोद

अमलतास के पेड़ पर फूल लदके हैं. उसकी खूबसूरती गांव को भी खूबसूरत बना रही है. अशोक के पेड़ के नीचे गांव के मर्द सब दिखते हैं और बरगद के नीचे गांव की महिलाएं. उनका गांव किस्मत वाला गांव है कि सांसद ने गोद लिया. हां, उनकी बातचीत में ये पूरी ताकत से शामिल है कि गोद लेने से गांव की पूरी तस्वीर बदलेगी तो ये चमत्कार से कम नहीं होगा. आपकी गोद में चमत्कार होगा इसकी उम्मीद है गांव वालों को सांसद, मंत्री रामकृपाल यादव.

शौचालय के नाम पर लूट है. सिंचाई प्रबंधन है ही नहीं. मुखिया, कर्मचारी तक नहीं आते गांव में. सांसद तीन महीने पहले आए थे.

-विजय कुमार, किसान

गांव को गोद लेने से कोई फायदा नहीं हुआ. किसान नया मालगुजारी देना चाहते हैं पर लेनेवाला कोई नहीं है.

-रामदेव सिंह, किसान

मिडिल स्कूल दो महीने पहले बनकर तैयार है, लेकिन यहां मैथ और साइंस की पढ़ाई नहीं होती है. इसके टीचर होने चाहिए. इस सब्जेक्ट के बिना कोई आगे बढ़ सकता है क्या इस जमाने में.

-सनोज कुमार, ग्रामीण

गांव में हाई स्कूल नहीं है. एक हाई स्कूल होना चाहिए. पांच किलोमीटर दूर जाना पड़ता है हाई स्कूल में पढ़ने. सोनमई में एक मिडिल स्कूल है.

-राजेन्द्र प्रसाद, ग्रामीण

गोद लेने से क्या हुआ? कुछ नहीं हुआ. सब पहले जैसा है. सिर्फ हल्ला हुआ कि सोनमई को गोद ले लिया है सांसद ने. पूरी दुनिया जान गई कि हमारा गांव अच्छा हो जाएगा. हुआ क्या अपने से देख लीजिए.

-धीरेन्द्र सिंह, ग्रामीण

गांव में कुछ बदला है तो देख लीजिए. पांच साल काटने के लिए वादा है. उससे क्या होता है. शौचालय बनवाने पर जोर है पर पैसा नहीं दिया जा रहा है.

-बिनेश्वर, ग्रामीण

शौचालय का पैसा मिलेगा कि नहीं? अपना रुपए लगा दिए हैं इसमें. नहीं मिलेगा तो उधार कैसे चुकता करेंगे?

-भगमती देवी, ग्रामीण

कृषि परामर्श केन्द्र के पास चापाकल को ठीक करने की हमलोगों ने कोशिश की पर नहीं हुआ. बेटी की शादी के समय डेढ़ सौ रुपए भी इसमें लगाया पर चालू नहीं हुआ.

-राजेश कुमार, ग्रामीण