क्या है जानकारी

जानकारी है कि अब यह विधेयक लोकसभा में विशेष बल के साथ पारित हो चुका है. इसके बावजूद अभी पांच अप्रैल तक इसके राज्यसभा में पारित होने की दूर-दूर तक कोई संभावना नहीं है. बताया जा रहा है कि अब यह सिफारिश राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पास पहुंचेगी. इसको लेकर इस बात की उम्मीद जताई जा रही है कि वह अध्यादेश को पांच अप्रैल से पहले दोबारा जारी करेंगे. पांच अप्रैल को पूर्ववर्ती अध्यादेश निष्प्रभावी हो जाएगा. सूत्रों से मिली जानकारी पर विश्वास करें तो यह नया वह अध्यादेश होगा, जिसमें सभी नौ संशोधनों को प्राथमिकता के साथ शामिल किया जाएगा. ये वो नौ संशोधन होंगे जो लोकसभा में लाए गए थे. इसको लेकर उन्होंने कहा कि अध्यादेश पहले से ही लंबित विधेयक से अलग नहीं हो सकता.

सरकार के पास नहीं है पर्याप्त संख्या

भूमि अर्जन, पुनर्वासन व पुर्नव्यवस्थापन में उचित प्रतिकार व पारदर्शिता अधिकार (संशोधन) विधेयक लोकसभा में फिलहाल पारित हो चुका है. बताते चलें कि दिसंबर में जारी अध्यादेश के स्थान पर इस विधेयक को लाया गया था. अध्यादेश के प्रभावी बने रहने के लिए पांच अप्रैल तक इसे संसद की मंजूरी हर हाल में मिल जानी चाहिए थी, लेकिन ऐसा हो नहीं सका. ऐसा इसलिए क्योंकि राज्यसभा में सरकार के पास पर्याप्त संख्या ही नहीं है, जो विधेयक को उस सदन में पारित कर सके.

विपक्ष ने किया है विरोध

याद रहे कि विपक्ष से सोनिया गांधी के नेतृत्व में इस विधेयक का व्यापक स्तर पर विरोध किया गया है. वहीं शुक्रवार को अध्यादेश के विरोध को दरकिनार करते हुए संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति ने राज्यसभा के मौजूदा सत्र का सत्रावसान करने का फैसला किया. ऐसा इसलिए ताकि अध्यादेश को फिर से जारी करने का रास्ता पूरी तरह से साफ हो सके. शनिवार को राष्ट्रपति ने सदन का सत्रावसान कर दिया था.

क्या है नियम

नियम पर गौर करें तो संविधान के अनुसार किसी भी अध्यादेश को जारी करने के लिए संसद के कम से कम एक सदन का सत्रावसान जरूरी है. ऐसे में संसद का बजट सत्र 23 फरवरी को शुरू हुआ था. अभी फिलहाल एक महीने का अवकाश है. वहीं इस बात पर भी गौर करें कि यह अध्यादेश जारी होने पर मोदी सरकार की ओर से जारी किया जाने वाला यह 11वां अध्यादेश होगा.

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