नरेंद्र मोदी और पॉलिटिकल ट्वीट नाम के एक आर्टिकल में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सोशल मीडिया का सुपरस्टार और जादूगर बताया गया है. अंग्रेजी अखबार 'टाइम्स ऑफ इंडिया' में छपी खबर के मुताबिक मिशिगन के जॉयोजीत पाल कहते हैं कि सोशल मीडिया पर प्रसिद्धी के मामले में मोदी बराक ओबामा से थोड़ा ही पीछे हैं. इसका श्रेय उन्होंने मोदी की अपनी इमेज को रीकंस्ट्रक्ट करने में सोशल मीडिया के स्मार्ट इस्ते्माल को दिया है. पाल ये भी मानते हैं इस पाप्युलैरिटी की एक वजह ये भी है कि मोदी ने अपने कंधों पर संध के पारंपरिक और परिर्वतन से कतराने वाले अप्रगतिशील सोच के बोझ को नहीं ढोया है.
इस स्टडी में कहा गया है कि सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते हुए मोदी ने एक सकारात्मक आधुनिकत युवा आकांक्षाओं का ध्यान रखा है और इसे लोगों तक पहुचाने में कामयाब हुए हैं. मोदी ने भाजपा की रूढ़िवादी इमेज से निकल कर सेल्फी लेने वाले मार्डन आइकॉन बनने में कामयाबी हासिल की है. मोदी के पक्ष में एक और बात गयी है कि उनके ट्वीटस ने इस एक साल में उनकी उस अख्खड़ शख्स की इमेज को बिलकुल गायब कर दिया है, जिसके चलते कभी अमेरिका में उनकी एंट्री बैन हो गयी थी. मोदी के ट्वीटस में राजनीतिक बयान बाजी कम लोगों से व्यीक्तिगत रूप से जुड़ने की ललक नजर आती है, जो उन्हें एक नए परिदृश्य में सामने रखती है. इस स्टडी में मोदी के 'मन की बात' प्रोग्राम की भी सराहना की गयी है.
इस स्टडी में कहा गया है कि मोदी अगर यह करते रहे तो वह अमेरिकी टीवी और सोशल मीडिया स्टार किम कर्दाशियां को ट्विटर पर पीछे छोड़ देंगे. मोदी का एक फेसबुक पेज भी है, जिस पर 2 करोड़ 80 लाख लाइक हैं. उन्होंने 'चाय पे चर्चा' मुहिम भी शुरू की है जिसके तहत वह चाय पीते समय ऑनलाइन वीडियो के माध्यम से नागरिकों के साथ राष्ट्रीय मुद्दों पर चैट करते हैं.
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