कोर्ट ने कहा ऐसा
कोर्ट ने यह भी कहा कि बहुत से लोग इस बात से सहमत नहीं होंगे, लेकिन परंपरागत कानून ऐसे मामलों में सकारात्मक परिणाम नहीं दे सके हैं। न्यायमूर्ती एन किरूबकरन ने कहा कि हर किसी को समाज की इस सच्चाई को समझना होगा और कड़ी सजा पर ध्यान देना होगा। ऐसा न करने पर आपको परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

दिया कई मामलों का उदाहरण
अदालत ने कहा कि वर्ष 2008 से 2014 के बीच बच्चों से दुष्कर्म के मामले में महज 2.4 फीसद व्यक्ित ही दोषी ठहराए जाते हैं। बच्चों के खिलाफ होने वाले यौन अपराधों में 400 फीसद की वृद्धि हुई है। अदालत ने कहा कि बधिया करने का सुझाव बर्बर लग सकता है, लेकिन ऐसे क्रूर अपराध ऐसी ही बर्बर सजाओं का माहौल बनाते हैं।

विदेशी नागरिक द्वारा बच्चे के यौन शोषण का मामला
कोर्ट ने एक विदेशी नागरिक द्वारा बच्चे के यौन शोषण के मामले में केस रद्द करने की याचिका को खारिज करते हुए यह कठोर टिप्पणी की। अदालत ने पिछले सप्ताह दिल्ली में दो बच्चियों से गैंगरेप के मामलों को संज्ञान में लेते हुए यह बात कही। हाईकोर्ट केंद्र सरकार को इस बारे में गंभीरता से सोचने को कहा है और इस बारे में फैसला लेने का निर्देश दिया है।

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