मुंबई (एएनआई)। एनसीपी प्रमुख ने अजीत पवार के समर्थक पार्टी के विधायकों को चेतावनी दी कि वे दलबदल विरोधी कानून के तहत अपनी सदस्यता खो सकते हैं। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करने वाले पवार ने कहा कि कोई भी एनसीपी नेता या कार्यकर्ता बीजेपी-एनसीपी सरकार के पक्ष में नहीं है। उन्होंने कहा, अजीत पवार का फैसला पार्टी लाइन के खिलाफ है और अनुशासनहीनता है। बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस और एनसीपी नेता अजीत पवार के सुबह-सुबह एक नाटकीय घटनाक्रम में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के कुछ घंटों बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस हुई। शपथग्रहण के पूर्व राज्य में राष्ट्रपति शासन को हटा दिया गया था।

दलबदल विरोधी कानून की तलवार

पवार ने कहा कि एनसीपी के विधायक, जो बीजेपी के समर्थन में हैं या भविष्य में ऐसा करने की सोच रहे हैं, दलबदल विरोधी कानून के तहत अपनी सदस्यता खो देंगे। उन्होंने कहा, 'सभी विधायकों को पता होना चाहिए कि दलबदल विरोधी कानून है और उनकी विधानसभा सदस्यता खोने की संभावना अधिक है। यहां तक कि उनके संबंधित निर्वाचन क्षेत्र के मतदाता भी उनसे नाराज होंगे।

सरकार बनाने के लिए संख्या होने का दावा

एनसीपी विधायक राजेंद्र शिंगाने, जो कि प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद थे, ने कहा कि वह राजभवन गए थे लेकिन यह नहीं जानते थे कि शपथ ग्रहण समारोह होना है। उन्होंने कहा, 'अजीत पवार ने मुझे कुछ चर्चा करने के लिए बुलाया था और वहां से मुझे अन्य विधायकों के साथ राजभवन ले जाया गया था। इससे पहले कि हम शपथ समारोह पूरा होता, मैं पवार साहब के पास गया और उन्हें बताया कि मैं उनके साथ हूं।' पवार ने कहा कि कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी सरकार बनाने के लिए साथ आए थे। पवार ने कहा, 'हमारे पास सरकार बनाने के लिए संख्या है। कई निर्दलीय भी हमारे साथ हैं।' एनसीपी ने 54 सीटें जीतीं जबकि शिवसेना को 56 और कांग्रेस को 44 सीटें मिलीं। 288 सदस्यीय विधानसभा में 105 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी बीजेपी, सरकार बनाने का दावा नहीं कर सकी थी क्योंकि उसकी सहयोगी शिवसेना रोटेशन के आधार पर मुख्यमंत्री पद पर अड़ी रही।

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