नई दिल्ली (पीटीआई)। वैश्विक महामारी कोरोना वायरस समय-समय पर एक नए रूप में सामने आ रही है। अल्फा, डेल्टा और डेल्टा प्लस जैसे इसके कई वैरिएंट अब तक सामने आ चुके है। इस सीरीज में अब एक और नाम जुड़ रहा है। हाल ही में हुई एक स्टडी में SARS-CoV-2 का एक नया संस्करण C.1.2 का पता चला है। कोरोना का यह स्वरूप दक्षिण अफ्रीका और विश्व स्तर पर कई अन्य देशों में पाया गया है। शुरुआती दाैर में माना जा रहा है कि यह अब तक सामने आए सभी कोविड-19 वैरिएंट से काफी खतरनाक हो साबित हो सकता है। इसके अलावा वैक्सीन से मिलने वाली सुरक्षा पर को भी कमजोर कर सकता है।

मई में पहली बार कोविड के इस नए C.1.2 वैरिएंट का पता चला था
दक्षिण अफ्रीका में नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर कम्युनिकेबल डिजीज (एनआईसीडी) और क्वाज़ुलु-नेटाल रिसर्च इनोवेशन एंड सीक्वेंसिंग प्लेटफॉर्म (केआरआईएसपी) के वैज्ञानिकों ने कहा कि इस साल मई में पहली बार कोविड के C.1.2 वैरिएंट का पता चला था। इसके बाद से यह चीन, कांगो, मॉरीशस, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, पुर्तगाल और स्विट्जरलैंड में 13 अगस्त तक पाया गया है। 24 अगस्त को प्रीप्रिंट रिपोजिटरी MedRxiv पर पोस्ट किए गए पीयर-रिव्यू अध्ययन के अनुसार, C.1.2 ने C.1 की तुलना में काफी हद तक उत्परिवर्तित किया है, जो कि दक्षिण अफ्रीका में पहली लहर में SARS-CoV-2 संक्रमणों पर हावी होने वाली वंशावली में से एक है।


यह दुनिया भर में टीकाकरण अभियान के लिए एक चुनौती बन सकता
शोधकर्ताओं ने कहा कि अध्ययन में पाया गया कि दक्षिण अफ्रीका में हर महीने C.1.2 जीनोम की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है, जो मई में अनुक्रमित जीनोम के 0.2 प्रतिशत से बढ़कर जून में 1.6 प्रतिशत और फिर जुलाई में 2 प्रतिशत हो गई। अध्ययन के लेखकों ने कहा, यह शुरुआती पहचान के दौरान देश में बीटा और डेल्टा वेरिएंट के साथ देखी गई वृद्धि के समान है। कोलकाता के सीएसआईआर से रे ने कहा, यह अधिक पारगम्य हो सकता है और इसमें तेजी से फैलने की क्षमता होती है। इसके अलावा यह दुनिया भर में टीकाकरण अभियान के लिए एक चुनौती बन सकता है।

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