-पांच साल में हुई औसत से कम बारिश, 2016 में भी बन गए थे बाढ़ जैसे हालात

PRAYAGRAJ: हर साल औसत से कम बारिश होती है। लेकिन प्रयागराज में बाढ़ के हालात बन जाते हैं। ऐसा दूसरे शहरों में होने वाली बारिश की वजह से होता है। मप्र, दिल्ली, पश्चिमी यूपी और उत्तरखंड में होने वाली बरसात के चलते आने वाला पानी प्रयागराज में बाढ़ की वजह बन जाता है।

976.40 मिमी है औसत बारिश

प्रयागराज के भौगोलिक क्षेत्रफल के लिहाज से हर साल कम से कम 976.40 मिमी बारिश होना जरूरी है। लेकिन 2014 से अब तक बारिश ने इस औसत आंकड़े को बारिश ने नहीं छुआ है। फिर भी कम से कम दो बार बाढ़ के आसार बने हैं। इनमें से 2016 में बाढ़ आ भी चुकी है। इस साल भी दोनों नदियां खतरे के निशान के आसपास हैं। जबकि बारिश औसत से काफी कम हुई है।

किस साल हुई कितनी बारिश

वर्ष वास्तविक बारिश

2014 726.23

2015 613.56

2016 821.19

2017 884.15

2018 697.38

किस साल अधिकतम कितना रहा जलस्तर

वर्ष गंगा का जलस्तर यमुना का जलस्तर

2015 81.58 मीटर 81.26 मीटर

2016 86.29 मीटर 86.05 मीटर

2017 79.300 76.66

2018 83.12 82.95

बाढ़ से राहत के अभी नहीं आसार

2018 में बारिश औसत से कम होने के बावजूद जलस्तर खतरे के निशान के पास पहुंच गया था। इस साल भी बारिश कम है लेकिन हालात खराब हैं। गंगा-यमुना का पानी निचले एरिया के घरों में घुसने लगा है। हथिनीकुंड सहित अन्य बांध से छोड़ा गया पानी पांच से छह दिन में प्रयागराज पहुंच जाएगा। इससे अभी राहत नहीं मिलने के आसार हैं।

जलस्तर

खतरे का निशान- 84.73 मीटर

गंगा- 82.89 मीटर

यमुना- 82.74 मीटर

दिल्ली और आसपास के एरिया से छोड़ा गया पानी प्रयागराज तक पहुंचने में समय लगेगा। तब तक पानी काफी घट चुका होगा। अगर प्रयागराज सहित आसपास के जिलों में तेज बारिश हुई तो उफान आ सकता है।

-ब्रजेश कुमार, ईई, बाढ़ खंड इकाई