-14 सितंबर से शुरू हो रहा है पितृपक्ष
prayagraj@inext.co.in
PRAYAGRAJ: पितृपक्ष इस बार 14 सितंबर से शुरू हो रहा है, जो 28 सितंबर को समाप्त होगा। पितृपक्ष श्राद्ध एक अनुष्ठान है, जिसका बहुत महत्व है। श्राद्ध और पिंडदान लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए करते हैं। इस कर्मकांड के जरिए ही हम अपने पितरों का ऋण पूरा करते हैं। पूर्वजों के लिए श्राद्ध एवं तर्पण के लिए गया के बाद प्रयागराज का महत्व हैं।
गया में पिंडदान का सबसे अधिक महत्व
तीर्थपुरोहितों और विद्वानों का मत है कि दिवंगत पितरों के लिए देश में ऐसे पावन स्थल हैं, जहां उनका पिंडदान किया जाता है। परंतु शास्त्र ने इस कार्य के लिए गया धाम को सबसे उत्तम माना है। गया धाम के बाद प्रयागराज में पिंडदान का भी सबसे अधिक महत्व है। ऐसी मान्यता है कि आश्रि्वन मास में सूर्य के कन्या राशि पर होने पर यमराज पितरों को यमालय से मुक्त कर देते हैं। पितर पृथ्वी पर आकर यह इच्छा करते हैं कि उनके पुत्र गया क्षेत्र में आकर पिंडदान करें, ताकि हम पितरों को नारकीय जीवन से मुक्ति मिले।
श्राद्ध तालिका
13 सितम्बर- पूर्णिमा श्राद्ध और महालयारम्भ
14 सितंबर- प्रतिपदा श्राद्ध
15 सितंबर- द्वितीया श्राद्ध
16 सितंबर- कोई श्राद्ध नहीं
17 सितंबर- तृतीया श्राद्ध
18 सितंबर- चतुर्थी एवं भरणी श्राद्ध
19 सितंबर- पंचमी श्राद्ध
20 सितंबर- षष्ठी श्राद्ध
21 सितंबर- सप्तमी श्राद्ध
22 सितंबर- अष्टमी श्राद्ध
23 सितंबर- नवमी (मातृ नवमी भी) श्राद्ध
24 सितंबर- दशमी एवं एकादशी श्राद्ध (एक ही दिन)
25 सितंबर- द्वादशी श्राद्ध
26 सितंबर- त्रयोदशी श्राद्ध
27 सितंबर- चतुर्दशी श्राद्ध
28 सितंबर- अमावस्या श्राद्ध (इसी दिन पितृ विसर्जन भी)।
29 सितंबर- मातामह श्राद्ध
वर्जन
24 सितंबर दिन मंगलवार को सूर्योदय 6 बजे और दशमी तिथि दिन में 11 बजकर 42 मिनट तक रहेगी। इसके बाद एकादशी तिथि है। ऐसे में दिन के मध्य समय में दोनों तिथियों का योग (कुतप बेला में) होने से दशमी और एकादशी तिथि में दिवंगत पितरों का श्राद्ध एक ही दिन 24 सितंबर को ही होगा।
-पं। दिवाकर त्रिपाठी पूर्वाचली
निदेशक, उत्थान ज्योतिष संस्थान
पितृपक्ष हमें वर्ष में एकबार उन संबंधों की याद दिलाता है, जिन्हें जीवन की आपाधापी में हम भूलने लगते हैं। इस प्रकार पितृयज्ञ द्वारा इन पारिवारिक संबंधों का फिर से नवीनीकरण होता है।
-आचार्य मोहित पांडेय
महर्षि भरद्वाज वेद विद्या समिति प्रयाग