नाम ही नहीं है दर्ज

नगर निगम की ओर से जारी किए जाने वाले बच्चों के इन बर्थ सर्टिफिकेट्स में उनका नाम ही नहीं दर्ज है। अर्बन लोकल बॉडीज की वेबसाइट में ऑनलाइन बर्थ सर्टिफिकेट्स पाने वाले बच्चों के नाम उनके पेरेंट के बेबी के तौर पर दर्ज हो रहे हैं। एग्जांपल के तौर पर अगर  बबीता और राहुल ने अपने बच्चे के बर्थ सर्टिफिकेट के लिए निगम में रजिस्ट्रेशन कराया, तो उनके बच्चे के नाम आगे बेबी ऑफ बबीता लिख के यह जारी कर दिया जा रहा है।

अब तक 667 birth certificate

निगम की ओर से सिटी के 19 हॉस्पिटल्स में पैदा होने वाले बच्चों का ऑनलाइन सर्टिफिकेट जारी किया जा रहा है। 20 सितंबर से इन बच्चों के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन शुरू किए गए। संडे तक जारी होने वाले कुल ऑनलाइन बर्थ-डेथ सर्टिफिकेट की तादाद 832 तक पहुंच चुकी है। इसमें बर्थ सर्टिफिकेट्स 667 और डेथ सर्टिफिकेट की संख्या 165 है।

80 फीसदी बच्चे बेनाम

निगम की ओर से संडे तक जारी किए गए ऑनलाइन बर्थ सर्टिफिकेट्स में से 80 फीसदी बेनाम बच्चों के हैं। अधिकारियों ने बताया कि ऐसा इसलिए हैं क्योंकि बच्चे के पैदा होने से करीब दो हफ्ते तक रीति रिवाज से नाम रखने की परंपरा है। ऐसे में हॉस्पिटल्स अपने यहां पैदा होने वाले बच्चों के नाम  बेबी ऑफ पेरेंट की तर्ज पर लिखकर निगम को भेज रहे हैं। जहां वैरिफिकेशन के बाद एक दिन में ही निगम उनके ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन जारी कर दे रहा है।

Parents कर रहे complain

निगम की ओर से जारी अपने बच्चे के ऑनलाइन बर्थ सर्टिफिकेट से कई पेरेंट्स खासे परेशान हैं। बच्चों के बर्थ सर्टिफिकेट जल्द जारी होने की खुशी इन पेरेंट्स के चेहरों पर ज्यादा देर तक न टिक सकी। दरअसल ऐसा बर्थ सर्टिफिकेट टेक्निकली बच्चे के किसी काम का नहीं जिसमें उसी का नाम न हो। करीब एक दर्जन पेरेंट्स अब तक निगम में अपने बेनाम बच्चे के सर्टिफिकेट में करेक्शन कराने को लेकर कंप्लेन दर्ज करा चुके हैं। जिन पर अभी तक न तो निगम और न ही डायरेक्ट्रेट कोई सुधार कर पाने का रास्ता तलाश सका है।

बेनाम hospitals भी मुसीबत

निगम जिन ऑनलाइन बर्थ-डेथ सर्टिफिकेट को जारी कर रहा हैं, उनमें हॉस्पिटल्स के एडे्रस को लेकर भी काफी प्रॉŽलम्स है। निगम से जुड़े जिन 19 हॉस्पिटल्स में बच्चों की डिलिवरी हो रही है, सर्टिफिकेट में उनका जिक्र ही नहीं है। यह हॉस्पिटल्स तो अपनी ओर से भेजी जा रही डिटेल्स में अपने नाम का जिक्र कर रहे हैं, लेकिन अर्बन लोकल बॉडीज के सॉफ्टवेयर में बच्चे की डिलिवरी प्लेस में हॉस्पिटल की जगह सिर्फ बरेली का नाम शो करता है। इससे फ्यूचर में बच्चों की बर्थ रिकार्ड जांचने या किसी विवाद की सिचुएशन में यह पता करना मुश्किल होगा कि किस हॉस्पिटल में बच्चें की डिलिवरी हुई थी।

सर्वर डाउन, सॉफ्टवेयर में खामी

ऑनलाइन बर्थ-डेथ सर्टिफिकेट रजिस्ट्रेशन में भी निगम को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अर्बन लोकल बॉडीज के दोनों यूआरएल सर्वर डाउन होने के चलते ठीक से वर्किंग नहीं कर पा रहे हैं। एनआईसी से इस बारे में कई बार कंप्लेन किए जाने के बावजूद प्रॉŽलम जस की तस बनी हैं। वहीं अर्बन लोकल बॉडीज की वेबसाइट पर अपना सर्टिफिकेट तलाशना भी लोगों के लिए चुनौती से कम नहीं। इस वेबसाइट को सर्फ करने के लिए डेस्कटॉप या लैपटॉप में विंडोज 7 या इससे अपग्रेडेड ऑपरेटिंग सिस्टम होना जरूरी है। इसके अलावा इंटरनेट एक्सप्लोरर 8 की रिक्वायरमेंट भी कंपल्शरी है। गूगल क्रोम और मॉजिला फायरफॉक्स पर यह वेबसाइट ओपन न होगी। जिन्हे सबसे ज्यादा यूज किया जाता है।

Spelling mistake भी बनी मुसीबत

निगम के ऑनलाइन सर्टिफिकेट में बच्चों के नाम और बर्थ वेन्यू की ही प्रॉŽलम्स पŽिलक को नहीं सता रही। बर्थ-डेथ सर्टिफिकेट में दर्ज पेरेंट्स के नाम की गलत स्पेलिंग भी इसकी यूटिलिटी में रोड़ा बनी है। इंग्लिश में  पेरेंट्स के नाम लिखे जाने के दौरान कई बार हॉस्पिटल्स के ऑपरेटर्स की लापरवाही इस परेशानी का सबब बन रही है। ओथेंटिक डाटा न होने से इन सर्टिफिकेट को अहम दस्तावेज के तौर पर यूज करने में दिक्कतें होंगी। निगम में बीते एक महीने के दौरान करीब 8-10 लोग इन खामियों को सही कराने को चक्कर काट रहे हैं।

काम न आएगा यह certificate

बड़े बड़े वादों और पब्लिक को दलालो के चंगुल से दूर करने के वादों की पोल निगम के यह सर्टिफिकेट अभी से खोल रहे हैं। नवजात बच्चों की सुविधा के लिए शुरू हुई यह ऑनलाइन बर्थ सर्टिफिकेट योजना उन्हीं के लिए मुश्किल साबित होगी। स्कूल्स में बेनाम सर्टिफिकेट के चलते न तो उन्हें एडमिशन मिल सकेगा और न ही फॉरेन में हायर एजुकेशन के लिए वह अपना वीजा अप्लाई कर सकेंगे। वहीं ऐसे काम जिनमें बर्थ सर्टिफिकेट की जरूरत कंपल्शरी होगी वहां भी यह बेनाम सर्टिफिकेट बेकाम ही साबित होगा।