बंदूक़धारियों ने इज़गे गांव में पुरुषों को इकट्ठा करने के बाद उन्हें गोली मार दी. वे इतने पर ही नहीं रुके और उन्होंने फिर घर-घर जाकर जो भी दिखा उसे मौत के घाट उतार दिया.

अधिकारियों ने इस हमले में बोको हराम का हाथ होने का संदेह जताया है.

बोको हराम का दावा है कि वह उत्तरी नाइजीरिया में इस्लामी देश के गठन के लिए लड़ रहा है. यह संगठन देश में हिंसा और हमले की कई घटनाओं को अंजाम दे चुका है.

हमले की ताज़ा घटना बोर्नो राज्य में हुई. राज्य के सिनेटर ने बीबीसी को बताया कि इस हमले में 106 लोग मारे गए हैं.

अली एनदुमे ने बताया कि क़रीब 100 इस्लामी चरमपंथियों ने शनिवार की शाम को लगभग पाँच घंटे तक मौत का खेल खेला. इस दौरान सेना ने कोई हस्तक्षेप नहीं किया.

घटना

उन्होंने कहा कि हाल में इस इलाक़े में घात लगाकर किए गए हमले में नौ सैनिक मारे गए थे जिसके बाद सेना ने वहां से अपने जवान हटा लिए थे.

इज़गे में हुए हमले के बाद वहां से भाग आए ग्रामीणों ने बताया कि कुछ लोगों को गोली मारी गई जबकि कुछ का गला रेता गया.

अबुबकर उस्मान ने समाचार एजेंसी रायटर्स से कहा, "सभी मृतकों के शव अब भी सड़कों पर पड़े हैं. हमें डर था कि आतंकी अब भी झाड़ियों में छिपे हो सकते हैं. यही वजह है कि हम मृतकों का अंतिम संस्कार किए बिना वहां से भाग निकले."

अन्य प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि हमलावर ट्रकों और मोटरसाइकलों में बैठकर आए थे.

उन्होंने गांव के पुरुषों को इकट्ठा होने को कहा और फिर उन्हें मार डाला.

नेतृत्व परिवर्तन

नाइजीरिया: बोको हराम ने 100 से ज़्यादा का किया क़त्ल

पिछले सप्ताह की शुरुआत में बोर्नो राज्य के कोनडुगा शहर में एक हमले में 30 से अधिक लोग मारे गए थे. इस हमले के लिए भी बोको हराम को ही ज़िम्मेदार ठहराया जा रहा है.

कोनडुगा पर हमले के बाद बोर्नो के गवर्नर काशिम शेट्टिमा ने इलाक़े में बोको हराम से लड़ने के लिए अधिक सैनिकों को तैनात किए जाने की मांग की थी.

राज्य में आपात स्थिति लागू होने के बावजूद राजधानी मैदुगुरी के आसपास के कई गांवों में हाल के दिनों में कई हमले हुए हैं.

इस्लामी चरमपंथियों से निपटने में सेना की नाकामी से परेशान राष्ट्रपति जोनाथन गुडलक ने 16 जनवरी को सेना के शीर्ष अधिकारियों को बदल दिया था.

इस बदलाव के बाद इज़गे पर हुआ हमला अब तक का सबसे बड़ा हमला है.

बोको हराम ने साल 2009 में हिंसक आंदोलन शुरू किया था और अब तक सैकड़ों ईसाई और मुस्लिम इस हिंसा में मारे जा चुके हैं.

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