बस फिर क्या था. बहुत से लोगों ने सोशल मीडिया साइट ट्विटर पर नीना दावुलूरी और उनकी जीत के बारे में टिप्पणियों की बौछार कर दी.

औऱ इनमें से बहुत से लोगों ने नीना दावुलूरी के भारतीय मूल के होने के आधार पर नस्ली भेदभाव से प्रेरित टिप्पणियां करते हुए ग़ुस्सा जताया.

किसी ने लिखा, “मैं हैरान हूं, यह मिस अमरीका प्रतियोगिता ही है... मिस पाकिस्तान या मिस चीन नहीं.”

तो ट्विटर के एक और यूज़र ने इस पर नाराज़गी जताई कि मिस अमरीका का ख़िताब किसी अमरीकी मूल वाले प्रतियोगी को नहीं दिया गया.

एक यूज़र ने लिखा, “अब मैं ये बिका हुआ शो कभी नहीं देखूंगा, दुख की बात है. माफ़ी चाहूंगा, लेकिन मुझे लगता है कि यह अमरीकी लोगों के मुंह पर एक तमाचा है.”

कुछ लोगों ने नीना दावुलूरी द्वारा प्रतियोगिता के दौरान बॉलीवुड का डांस करने पर भी नाराज़गी जताई.

सोशल मीडिया पर कई यूज़र्स नीना दावुलूरी को अरब मूल का भी बता रहे हैं.

आंध्र प्रदेश से संबंध

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नीना दावुलूरी के माता पिता मूल रूप से भारत के आंध्र प्रदेश राज्य के विजयवाड़ा के रहने वाले हैं और कई दशक पहले यह परिवार अमरीका में आकर बस गया था.

जनगणना ब्यूरो के 2010 के आंकड़ों के मुताबिक अमरीका में अब करीब 32 लाख भारतीय मूल के लोग रहते हैं. उनमें से बड़ी संख्या में पेशेवर मेडिकल डॉक्टर, सॉफ़्टवेयर इंजीनियर, वकील, प्रोफ़ेसर और कंपनियों के मालिक हैं.

जो लोग नीना दावुलूरी के ख़िताब जीतने की नस्ल के आधार पर बुराई कर रहे हैं उन्हें प्रतियोगिता के जजों के फ़ैसले पर भी शक है.

मिस अमेरिका प्रतियोगिता के जजों ने खुलकर यह कहा है कि उन्होंने नीना दावुलूरी को उनकी सलाहियतों के कारण 2014 की मिस अमेरिका के ख़िताब के लिए चुना है.

इसके बावजूद नीना दावुलूरी के मिस अमेरिका के ख़िताब जीतने पर कुछ लोगों ने नस्ली टिप्पणियां जारी की हैं.

दक्षिण एशियाई नाराज़

इस प्रकार नीना दावुलूरी को निशाना बनाए जाने से बहुत से भारतीय औऱ दक्षिण एशियाई मूल के लोग नाराज़ हैं.

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न्यूयॉर्क में रहने वाले शेर बाहादुर सिंह पिछले कई दशकों से अमरीका में रह रहे हैं.

नीना दावुलूरी के 'मिस अमेरिका' के खिताब जीतने पर उनके खिलाफ़ नस्ली टिप्पणियों के बारे में शेर बाहादुर सिंह कहते हैं,"अमरीका का जो कल्चर है उसके हिसाब से ऐसी बातें तो नहीं करनी चाहिए. हम सब लोग तो अब अमरीकन हो गए हैं, इनको ऐसा नहीं कहना चाहिए. उन्हे नस्लभेदी नहीं होना चाहिए. हम लोगों को तो खुशी है. कोई भी यहां कोई ख़िताब जीत सकता है. कोई भी हमारा बच्चा जो यहां पैदा हुआ है वह अमरीकी राष्ट्रपति भी बन सकता है लेकिन अब भी अमरीका के कुछ लोगों में नस्लभेदी भावनाएं मौजूद हैं."

सिर्फ़ भारतीय मूल के लोग ही नहीं बल्कि पाकिस्तान समेत कई अन्य देशों के मूल के लोग भी नीना दावुलूरी के ख़िताब जीतने पर उनके खिलाफ़ की जाने वाली नस्ली टिप्पणियों को ग़लत कह रहे हैं.

न्यूयॉर्क में रहने वाले पाकिस्तानी मूल के एनुल हक़ कहते हैं. "नहीं, यह तो मेरे ख्याल से सही नहीं है. वह यहीं पैदा हुई हैं, यहीं पली बढ़ी हैं, तो वह अमरीका का प्रतिनिधित्व कर रही हैं और अमरीकी मूल्यों का प्रतिनिधित्व कर रही हैं."

इसके अलावा जहां एक ओर कुछ अमरीकी नस्ली टिप्पणियां कर रहे हैं तो बहुत से अमरीकी नीना दावुलूरी की जीत पर खुश हैं और नस्ली टिप्पणियां करने वालों की निंदा भी कर रहे हैं.

एक अश्वेत अमरीकी लेखक रोक्सेन जोंन्स ने एक लेख लिखते हुए कहा है, "प्रिय मिस अमेरिका, आपका बहुत शुक्रिया कि आपने हमें फिर याद दिलाया कि आज एक अमरीकी सुंदरी कैसी दिखती है. मैं उन अमरीकियों को जिन्होंने शायद ध्यान न दिया हो, बताना चाहती हूं कि आजकल की अमरीकी सुंदरी सेरेना विलियम्स, मिशेल ओबामा, एंजेलीना जोली और हां, नीना दावुलूरी जैसी दिखती है."

तवज्जो नहीं

वैसे मिस अमरीका ने तो पहले ही कह दिया है कि वह नस्ली टिप्पणियों पर तवज्जो नहीं देतीं.

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नीना दावुलूरी का कहना है, "मुझे इन सब बातों से ऊपर उठकर देखना है. हर चीज़ से ऊपर मैंने हमेशा खुद को एक अमरीकी माना है."

नस्लभेदी टिप्पणियों के खिलाफ और नीना के समर्थन में भी कई यूज़र्स ने ट्विटर पर लिखा. एक यूज़र ने लिखा, “नस्लभेद करने वाले लोगों से भरा हुआ है अमरीका. ऐसा ही है यह देश.”

चौबीस वर्षीय नीना दावुलूरी दूसरी 'मिस न्यूयॉर्क' हैं जिन्होंने 'मिस अमरीका' का ख़िताब जीता है.

नीना ने अमरीका की नई नस्ल को संदेश के बारे में कहा, "मैं खुश हूं कि 'मिस अमेरिका' संस्था ने देश में विविधता को भी महत्व दिया है. अब अमरीका में जो बच्चे घरों में टीवी पर प्रतियोगिता देख रहे हैं, वह एक नई 'मिस अमेरिका' को भी देख सकते हैं. "

अमरीका के न्यूयॉर्क राज्य के सेराक्यूज़ शहर में रहने वाली नीना हमेशा अच्छी छात्रा रही हैं और वह डॉक्टर बनना चाहती हैं.

उनके पिता चौधरी धन दावुलूरी भी शहर के संत जोज़फ़ असपताल में डॉक्टर हैं.

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