- लॉक डाउन के बीच वाहनों के ठप होने से पैदल ही कोसों दूर चल दिए घर

- वाराणसी से तीन दिन में रेंगते हुए परिवार संग पहुंचे शहर, थक कर हुआ चूर

PRAYAGRAJ: क्या बड़े और क्या बच्चे सभी थक कर चूर हैं। चटकी धूप हो या रात की छांव, किसी को न खाने की फिक्र है और न ही सोने की चिंता। बस सिर पर एक ही जुनून है कि घर पहुंचना है। इसी जुनून और हौसले के साथ वे लॉकडाउन में बंद साधन के बीच पैदल ही घर को निकल पड़े हैं। सोमवार को ऐसे कई लोग सड़कों पर पैदल जाते नजर आये। इनमें कुछ परिवार के साथ भी शामिल हैं। दोपहर के समय कुछ ऐसे लोगों से दैनिक जागरण आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने बात की। सवाल करते ही मिले जवाब में उनका असहनीय दर्द छिप नहीं सका।

मजबूरी में दूरी लग रही कम

तीन दिनों तक वाराणसी से पैदल चलकर परिवार संग प्रयागराज पहुंचे रविशंकर पूरी तरह थक चुके थे। करीब 12 साल की बेटी रीता व 15 वर्ष का बेटा आकाश और पत्‍‌नी रेखा के पांव भी यहां पहुंच कर जवाब दे रहे थे। चलते-चलते थक गये तो वे सिविल लाइंस नगर नगर निगम के पास पेड़ की छांव में बैठ गए। एक सवाल पर रविशंकर ने जवाब दिया कि उन्हें जालौन के हिंडोकरा गांव जाना है। बताया कि वे वाराणसी में कई साल से चाट का ठेला लगाया करता था। लॉक डाउन की वजह से दुकानदारी ठप हो चुकी है। किराए पर परिवार के साथ वहां रहता था। कुछ कमाई है नहीं, खाने के भी लाले पड़ने वाले थे। इस लिए गांव लौटना मजबूरी बन गई। अब साधन मिल नहीं रहे लिहाजा पैदल जाना मजबूरी है। एक दूसरे सवाल के जवाब में कहा कि तीन दिन में यहां तक पहुंच गए हैं तो धीरे-धीरे चार पांच दिन में घर भी पहुंच ही जायेंगे। खाने के प्रश्न पर बताया कि पूड़ी सब्जी बना कर चला था। लाई चना, गुड़ आदि ले रखा है। भूख लगने पर वही खाना कर पेट भर लेते हैं। यह कहते हुए बेटी बैग पकड़ी और खुद सिर पर बोरी उठा कर आगे बढ़ गया।

- राजस्थान से बिहार निकल पड़े

इसी तरह लोकसेवा आयोग पर पैदल बिहार जाते हुए कुछ लोग दिखाई दिए। पूछने पर वे बताए कि बिहार जाना है और राजस्थान से आ रहे हैं।

- इन लोगों ने अपना नाम राकेश लोध, सुधीर जायसवाल, रघुबीर बिन्द, अशोक कुमार, माताफेर कनौजिया, भूपेश सिंह बताया।

- पूछने पर बोले कि रास्ते में बीच-बीच ट्रकें मिल जाती थीं। एक ट्रक उन्हें बम्हरौली के आगे छोड़ दिया।

- वहां से पैदल सभी यमुना ब्रिज जा रहे थे। कहना था कि शायद ब्रिज से कोई ट्रक मिल जाय और कुछ आगे निकल सकें।

- हालांकि यहां चेकिंग में लगी पुलिस ने इन्हें रोक लिया।

- इसी तरह तमाम लोग पैदल ही कोसों दूर अपने-अपने घरों की तरफ रेंगते हुए सोमवार को दिखाई दिए।