हॉस्पिटल की ओर से मरीजों को नहीं दी जा रही है मुफ्त में दवा

ओपीडी में गिनी-चुनी चार दवाईयां ही है उपलब्ध

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RANCHI (29 रूड्ड4) : रिम्स में इलाज के लिए आने वाले मरीज बाहर की दुकानों से दवा खरीदने को मजबूर हैं। हॉस्पिटल की ओर से मरीजों को दवा उपलब्ध नहीं कराई जा रही है। ऐसे में वैसे मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है, जिनकी आर्थिक स्थिति कमजोर है। ओपीडी में गिनी-चुनी दवाईयां ही उपलब्ध है। यहां मरीजों को गिनती की मात्र चार दवाएं ही दी जा रही है। बाकी दवाओं के लिए उन्हें जेब ढीली करनी पड़ती है।

जेब हो रही ढीली

स्लाइन, आयरन और कैल्सियस गोली को छोड़कर मरीजों को कोई भी दवा नहीं दी जा रही है। डॉक्टर जो दवा प्रेस्क्राइब कर रहे हैं, उन्हें बाहर की दुकानों से मरीजों को खरीदना पड़ रहा है। इतना ही नहीं, यहां के डॉक्टर भी ज्यादातर मरीजों को जेनरिक की बजाय ब्रांड की ही दवाएं लिख रहे हैं, जिस कारण दवा के लिए इन्हें ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ रहे हैं। आम मरीज को हर दिन पांच सौ से लेकर चार हजार रुपए तक की दवा बाजार से खरीदनी पड़ रही है।

ओपीडी के दवा वितरण केंद्र से लौट रहे मरीज (बॉक्स)

रिम्स के ओपीडी में इलाज के सिलसिले में हर दिन लगभग 15 सौ मरीज आते हैं। इनमें से सात सौ मरीजों को ओपीडी के दवा वितरण केंद्र से दवा नहीं मिल पाती है। दवा वितरण केंद्र में मात्र 17 दवाईयां ही उपलब्ध है। इस वजह से एक-दो दवाओं को छोड़ बाकी बाजार से खरीदनी पड़ जाती है।

मुफ्त दवा देने पर बनी थी सहमति (बॉक्स)

रिम्स गवर्निग बॉडी की पिछली बैठक में मरीजों को मुफ्त दवा देने पर सहमति बनी थी। बैठक में यह फैसला हुआ था कि यहां मरीजों को चिकित्सक वैसी दवा प्रेस्क्राइब करेंगे, जो दवा वितरण केंद्र में उपलब्ध हो। लेकिन, यहां ना तो डॉक्टर जेनरिक दवा ही लिख रहे हैं और ना ही दवा वितरण केंद्र में दवाओं का स्टॉक बढ़ाया जा रहा है। ऐसे में मरीजों को बाहर से दवा परचेज करनी पड़ रही है।

वर्जन

यहां गरीब मरीजों के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। बाहर की दुकानों से दवा खरीद-खरीदकर परेशान हैं। एक ही दिन में ढाई हजार की दवाईयां ली है। हॉस्पिटल की ओर से दवा नहीं दी जा रही है। डॉक्टर भी बाहर से ही दवा खरीदने को कहते हैं।

अजीत पासवान

कल ही अपने मरीज को यहां एडमिट किया हूं। अबतक 12 सौ रुपए की दवा बाहर से खरीद चुका हूं। अभी और दवाएं खरीदनी बाकी है। यहां मरीजों को मुफ्त दवा देने की व्यवस्था होनी चाहिए।

मिथिलेश

वर्जन

इस संबंध में अबतक मुझे कोई जानकारी नहीं मिली है। डायरेक्टर से कोई निर्देश मिलने के बाद ही कुछ बता सकूंगा।

डॉ रघुनाथ प्रसाद सिंह

एमओ(स्टोर), रिम्स