बरेली (ब्यूरो)। अगर आप हिस्टोरिक बुक्स पढ़ने के शौकीन है तो यह न्यूज आपके लिए ही है। नॉर्थईस्ट रेलवे ने अब बरेलियंस को बुक्स की दुनिया से जोड़ने के लिए एक कोशिश शुरू की है। इसके लिए सेंट्रल लाइब्रेरी को समृद्ध बनाने के साथ ही उसे ऑनलाइन कर दिया है। जिससे आप रेलवे की वेबसाइट www.ner.indianrailways.gov.in या N.E. Railway Central Library पर जाकर लाइब्रेरी सेक्शन में एक क्लिक करते ही वेद, पुराण, उपनिषद और दुर्लभ पौराणिक पुस्तकों के अलावा मनपसंद अध्यात्मिक, राजनीतिक, साहित्यिक, दर्शन और विज्ञान की किताबें भी पढ़ सकेंगे।

एंप्लॉयज को मिलता था फायदा

रेलवे की लाइब्रेरी का लाभ अभी तक रेलवे कर्मी या फिर कोई पढ़ना चाहता हो तो ग्रंथालय लाइब्रेरी में बैठकर ही पढ़ सकता था, लेकिन अब इस ऑनलाइन सुविधा का फायदा सभी को मिलेगा। वहीं इससे पहले लाइब्रेरी का मेंबर सिर्फ रेलकर्मी ही होते थे, लेकिन अब रेलवे प्रशासन ने बाहरी लोगों को भी सदस्य बनाने का प्रस्ताव तैयार किया है। प्रस्ताव पर मुहर लगते ही रिटायर्ड रेलकर्मी और छात्र ग्रंथालय का सदस्य बन सकेंगे। वे भी अपने रुचि की किताबों को घर ले जाकर पढ़ सकेंगे।

यह बुक्स पढ़ने का मौका

ऑनलाइन लाइब्रेरी में ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी, हिंदी विश्वकोष, आजादी से पूर्व के गजेटियर, रेलवे की दुर्लभ पांडुलिपियां सहित 18वीं सदी की बुक्स पढ़ने का मौका मिलेगा। वहीं महात्मा गांधी, नेहरू, अंबेडकर, ओशो और अरविंदो आदि के कलेक्शन सहित प्रेम चंद, अज्ञेय, भारतेंदु हरिश्चंद्र, आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी, राम धारी सिंह दिनकर, हरिवंश राय बच्चन और माखन लाल चतुर्वेदी की साहित्य रचना के अलावा प्राचीन और आधुनिक भारत ही नहीं विश्व की दुर्लभ जानकारियां पुस्तकों में हैं।

'एनईआर की 60 वर्ष पुरानी लाइब्रेरी को ऑनलाइन उपलब्ध कराया गया है। जिससे पुरानी पुस्तकों को खोजने व पढ़ने में सुविधा होगी।'

- पंकज कुमार सिंह, सीपीआरओ, एनई रेलवे

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