-हाइड्रोमेटरोलॉजिकल नेटवर्क से जानेंगे मौसम के बारे में

क्कन्ञ्जहृन्: किसानों को अब मौसम की मार नहीं झेलनी पड़ेगी। अब पहले ही किसान मौसम के मिजाज को समझ सकेंगे। किसानों को मेघदूत आगाह करेगा कि अगले कुछ घंटों में मौसम में किस तरह के बदलाव होने वाले हैं। मौसम का पूर्वानुमान और किसानों को सलाह देने के लिए शुक्रवार को कृषि विभाग और अहमदाबाद स्थित स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के साथ आंकड़ों के आदान-प्रदान के लिए करार हुआ। जिस पर कृषि विभाग के प्रधान सचिव सुधीर कुमार और स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के निदेशक डॉ तपन मिश्रा ने हस्ताक्षर किया।

3 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट

कृषि मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने बताया कि मौसम में होने वाले बदलाव का पूर्वानुमान लगाकर किसानों को अलर्ट करने और खेती में सूचना के उपयोग के लिए पायलट प्रोजेक्ट के रूप में टेलीमेट्रिक आधारित हाइड्रोमेट्रोलॉजिकल नेटवर्क अपनाया जा रहा है। पहले चरण में बिहार के तीन जिले नालंदा, सुपौल और पूर्वी चंपारण की सभी ग्राम पंचायतों में टेलीमेट्रिक आधारित रेनगॉज और प्रखंडों में डेलीमेट्रिक आधारित वेदर स्टेशन स्थापना की जा रही है। इसके बाद योजना प्रदेश के सभी जिलों में लागू किया जाएगा। पायलट प्रोजेक्ट के तीन जिलों में प्रखंडों में टेलीमेट्रिक वेदर स्टेशन और पंचायत स्तर पर टेलीमेट्रिक रेनगॉज स्थापित होगी। चालू वर्ष में 15 करोड़ की लागत से पायलट प्रोजेक्ट के तहत तीन जिलों में ऐसे केंद्र स्थापित किए जाएंगे। सफल होने पर पूरे प्रदेश में लगाया जाएगा। गया व अरवल के लिए भी स्वीकृति की प्रक्रिया जारी है।

25 किमी तक मिलेगी सूचना

कृषि मंत्री ने बताया कि वेदर स्टेशन और रेनगॉज से प्राप्त डाटा का स्पेस एप्लीकेशन सेंटर अहमदाबाद के सहयोग से संग्रहण और विश्लेषण किया जाएगा। इससे 25 किमी के दायरे में किसानों को मौसम से संबंधित सूचनाएं और संभावनाएं फ्लैश की जा सकेगी। समय से पहले सूचना मिल जाने से फसलों की बुआई और कटाई की योजनाएं तैयार करने में सुविधाएं मिलेगी। साथ ही होने वाले नुकसान से बचने में भी मदद मिलेगी।

ऐसे काम करेगा रेनगेज सेंटर

टेलीमेट्रिक स्टेशनों और रेनगेज सेंटर हर 15 मिनट में मौसम के ?योरे को अपडेट करते रहेंगे। तापमान, वर्षा, तुलनात्मक आ‌र्द्रता, सौर विकिरण, हवा की गति और दिशा के जरिए मौसम के मिजाज को पता लगाया जा सकेगा।