जिस देश ने दुनिया को गूगल दिया, फ़ेसबुक दिया, अमेज़न दिया उस देश के राष्ट्रपति को एक प्रेस कांफ़्रेस में सात बार माफ़ी मांगनी पड़े वो भी एक वेबसाइट के काम न करने की वजह से तो इसे बुरा वक्त ही तो कहेंगे.

हर अमरीकी को स्वास्थ्य सुविधा मिले इसके लिए ओबामा एक क़ानून लेकर आए, जिसे ओबामाकेयर कहा गया.

विपक्षी रिपब्लिकन इस क़ानून के इतने ख़िलाफ़ रहे हैं कि पिछले महीने ही उन्होंने अमरीका को 15-16 दिनों के लिए ठप कर दिया, दुनिया भर के बाज़ारों की धुक-धुकी बढ़ा दी. लेकिन  ओबामा डटे रहे और ओबामाकेयर भी बना रहा.

लेकिन जब ओबामाकेयर के तहत मिलने वाला हेल्थ इंश्योरेंस खरीदने लोग उसकी वेबसाइट पर पहुंचे तो वेबसाइट लटकने लगी.

'ओबामा का समय'

राष्ट्रपति की टीम की कांग्रेस तक में पेशी हो गई और कहा गया कि 30 नवंबर तक सब कुछ दुरूस्त हो जाएगा लेकिन अब उसके भी आसार नहीं दिख रहे हैं.

अब तो ओबामा इस तरह की बातें करने लगे हैं कि न तो मैं परफ़ेक्ट इंसान हूं न परफ़ेक्ट राष्ट्रपति. लोग कह रहे हैं--सर, चुनाव प्रचार के दौरान तो आप कुछ और ही कहते थे!

क्या ओबामा का बुरा वक़्त चल रहा है?

दरअसल ये साल ही कुछ सही नहीं रहा है ओबामा के लिए. अमरीका न जाने कब से पूरी दुनिया की कानाफूसी सुनता रहा है.

ये भी अंदाज़ा था कि अमरीकी नागरिकों के फ़ोन और ईमेल पर भी नज़र रखी जाती है. लेकिन ये सारी बातें दुनिया के सामने आनी थीं तो तभी जब ओबामा  व्हाइट हाउस में हैं. ज़रूर कोई जादू-टोना कर रहा है.

हालात ये हैं कि ओबामा के आस-पास रहने वालों पर भी इसका असर हो रहा है.

आपने उनकी सुरक्षा के लिए तैनात सीक्रेट सर्विस के एजेंटों की तस्वीरें देखी होंगी. दैत्याकार कद-काठी और ऊपर से काला चश्मा, लगता है इंसान नहीं मंगल ग्रह से आए साइंस फ़िक्शन के कैरेक्टर हों.

गलती

लेकिन इन बेचारों की भी इंसानी कमज़ोरियां इन दिनों उजागर हो रही हैं. अब एक एजेंट शाम में अपनी बंदूक के साथ किसी मयखाने में बैठे, और वहीं किसी ख़ूबसूरत चेहरे पर दिल आ गया. शराब बहुत बुरी चीज़ होती है.

ख़ैर बात आगे बढ़ी और दोनों होटल के कमरे के अंदर. वहां जो हुआ ये तो वही दोनों जानें लेकिन एजेंट साहब नई-नवेली महिला मित्र को शुभरात्रि कहने के बाद फिर थोड़ी देर बाद उनका दरवाज़ा खटखटा रहे थे.

क्या ओबामा का बुरा वक़्त चल रहा है?

उनका कहना था कि उनकी बंदूक की एक गोली कमरे के अंदर ही रह गई. लेकिन महिला ने दरवाज़ा खोलने से मना कर दिया.

बात होटल के मैनेजर, फिर वहां से व्हाइट हाउस और फिर वाशिंगटन पोस्ट अख़बार तक पहुंची और पूरी दुनिया के सामने आ गई.

अब ग़लती तो गोली की थी जो अंदर रह गई, एजेंट तो बेवजह मारा गया.

जनाब इन दिनों सस्पेंशन में चल रहे हैं और उनकी जांच पड़ताल शुरू हुई तो और भी कंकाल अलमारी में से निकले.

पता चला एक एजेंट दूसरी महिला एजेंटों को मोबाइल पर सेक्स संदेश भेजते हैं, तो कुछ यौनकर्मियों और विदेशी नागरिकों के साथ सेक्स संबंध रखते हैं.

बुरा वक़्त

ये सब पहले भी होता होगा लेकिन वक़्त बुरा है तो सब कुछ ओबामा के व्हाइट हाउस में रहते-रहते ही बाहर आ रहा है.

अब तो लेट नाइट कॉमेडी शोज़ में भी ओबामा साहब की ही टांग खींची जा रही होती है. जिस तरह के लतीफ़े  जॉर्ज बुश के लिए बनते थे, वैसी ही कारीगरी ओबामा पर आज़माई जा रही है.

दरअसल सारा दोष व्हाइट हाउस की दूसरी पारी का है.

दूसरी पारी में ही रोनाल्ड रीगन का ईरान-कॉंट्राबैंड मामला सामने आया था, बिल क्लिंटन और मोनिका लेविंस्की की दिनचर्या ओवल ऑफ़िस की कुर्सी से फ़िसलकर दुनिया के कोने-कोने तक रिसने लगी और जॉर्ज बुश कटरीना और  इराक़ के चपेटे में आ गए.

ओबामा साहब को तो अभी तीन साल और गुज़ारने हैं यहां.

मेरी मानें तो व्हाइट हाउस में यज्ञ-हवन करवा लें. पूजा-सामग्री के लिए मोदी भंडार या मनमोहन स्टोर्स किसी को भी फ़ोन लगा सकते हैं.

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