आरटीआई एक्टिविस्ट सुभाष चन्द्र अग्रवाल ने इस बारे में होम मिनिस्ट्री में एक RTI सब्मिट की थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि सैफ अली खान मुंबई के एक रेस्तरां में मारपीट के केस में कल्पिट हैं और उन पर कई क्रिमनल केस चल रहे हैं जिसमें से एक जोधपुर कोर्ट में ब्लैक बक के शिकार वाला मामला सलमान खान के साथ भी है. इसी आरटीआई की वजह से पता चला है कि क्रिमनल केस में इन्वॉल्वमेंट सामने आने के बावजूद सैफ को पदम ऑनर दे दिया गया. हालाकि ये पता नहीं चला कि किसके रिकमेंडेशन के बाद सैफ का नाम पदम अवॉर्ड के लिए सलेक्ट किया गया.
हालाकि इस अवॉर्ड को फाइनल करने वाली पदम अवॉर्ड कमेटी के मेंबर्स ऑनरेबल सिटिजन और सीनियर गवरमेंट ऑफीशियल्स होते हैं. इसके अलावा रिकमेंडेड नामों को डिटेक्टिव एजेंसीज से क्लियरेंस भी दिया जाता है. इसीलिए अग्रवाल ने डिमांड की है कि सैफ का नाम सजेस्ट करने वाले का नाम भी डिस्क्लोज होना चाहिए क्योंकि कंट्रोवर्सियल शख्स को अवॉर्ड देने से अवॉर्ड की रेस्पेक्ट इफेक्ट होती है.
अग्रवाल ने डिटेक्टिव एजेंसीज की वर्किंग को भी क्वेशचन किया कि कैसे उन्होंने सैफ के नाम पर अपनी क्लियरेंस दी. होम मिनिस्ट्री ने सुभाष अग्रवाल के सवालों को सीरियसली लेते हुए इंवेस्टिगेशन करने का डिसीजन लिया है और उनको एश्योर किया है कि इस बात की पूरी जांच करके सही एक्शन लिया जाएगा.
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