-पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम ध्वस्त होने से वीआईपी रोड पर खूब दौड़ा खड़खड़ा

-ऑर्डिनेंस फैक्ट्री गेट पर आपस में भिड़े कर्मचारी, जमकर चलीं लाठियां

kanpur@inext.co.in

KANPUR : कानपुर में भी फ्राइडे को सेंट्रल और स्टेट गवर्नमेंट के इम्प्लाइज की एक दिवसीय हड़ताल से हाहाकर मच गया। कहीं कर्मचारी आपस में भिड़ गए तो कहीं बस के लिए लोगों को घंटों इंतजार के बाद भी मायूस होना पड़ा। रोड में जाम तो नहीं था, लेकिन पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम ठप होने से पब्लिक को मुश्किलों का सामना करना पड़ा। कानपुर की बात करें तो करीब 1200 करोड़ रुपए का बैंकिंग कारोबार प्रभावित हुआ। बैंकों में काम नहीं होने से परेशान लोग जब एटीएम पर पहुंचे तो वह भी खाली मिले।

एक दिन में 'लुट' गई पब्लिक

कानपुर में स्ट्राइक से पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम पर बुरा असर पड़ा, जिसकी वजह से खड़खड़े वालों ने जमकर 'लूट' की। वीआईपी रोड पर खड़खड़े और तांगे तक दिनभर चले। उन्होंने 5 रुपए की दूरी पर 10 रुपए लिए वो भी अकड़ के साथ। वहीं ऑर्डिनेंस फैक्ट्री गेट पर कर्मचारी स्ट्राइक को लेकर ऐसा भिड़े कि लाठी-डंडे तक चल गए। एलआईसी और शहर की सरकारी बैंकों की शाखाओं के बाहर कर्मचारियों ने प्रदर्शन किया। नर्सेज की स्ट्राइक से सरकारी अस्पतालों में मरीज परेशान हो गए।

------------------------

कामगार नीति के विरोध में हड़ताल

हड़ताल सेंट्रल गवर्नमेंट की कामगार नीति के विरोध में थी। केंद्रीय श्रम संगठनों, औद्योगिक फेडरेशंस और कर्मचारी संगठनों के आह्वान को करीब 250 कर्मचारी संगठनों ने अपना समर्थन दिया। इसमें सफाई कर्मचारी, स्वास्थ्य विभाग, आरटीओ, परिवहन, रजिस्ट्री ऑफिस और बैंक के कर्मचारी शामिल रहे। उत्तर प्रदेश राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष अजय सिंह ने बताया कि यूपी में करीब 20 लाख कर्मचारी हड़ताल पर रहे। जबकि कानपुर में करीब 1 लाख 37 हजार कर्मचारी स्ट्राइक पर रहे।

---------------------

इन सेवाओं पर पड़ा असर

-शहर में बैंकिंग सेवाओं, पब्लिक ट्रांसपोर्ट और दूरसंचार पर पड़ा व्यापक असर

-हड़ताल में कानपुर के करीब 1.37 लाख सरकारी कर्मचारी शामिल हुए

-सभी राज्य कर्मचारियों, बैंक, बीएसएनएल, रोडवेज आदि से जुड़े कई संगठनों ने दिन भर कार्य बहिष्कार किया।

----------------------

इन सेवाओं पर असर नहीं

- इस हड़ताल में रेलवे के कर्मचारियों ने हिस्सा नहीं लिया।

- मेडिकल स्टोर्स एसोसिएशंस भी इस हड़ताल में शामिल नहीं हुए

---------------------

ये है कर्मचारियों की मांगे

- न्यूनतम वेतनमान 18 हजार करने की मांग लेकर रेलवे को छोड़कर केंद्रीय कर्मचारी हड़ताल पर हैं।

- ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के जनरल सेकेट्ररी असउद्दीन राणा का कहना है कि हमारी मांग है कि समान काम का समान वेतन दिया जाए।

- केंद्र सरकार ने न्यूनतम वेतन दस हजार रुपये किया है, लेकिन हम चाहते हैं कि ये न्यूनतम वेतनमान 18000 रुपये किया जाए।

-राज्य कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अजय सिंह का कहना है कि ट्रेड यूनियनों की बुलाई गई हड़ताल पूरी तरह से कर्मचारी हित में है।

- कलेक्ट्रेट को छोड़कर ज्यादातर विभाग के कर्मचारी हड़ताल पर रहे।

- कर्मचारी पुरानी पेंशन व्यवस्था फिर से लागू करने की मांग कर रहे हैं।

- इसके तहत मिनिमम मंथली पेंशन तीन हजार रुपये करने की मांग कर रहे हैं।

- 7वें वेतन आयोग की संस्तुतियों की विसंगतियां दूर करने की भी मांग की जा रही है।

- साथ ही कर्मचारी एफडीआई को हटाने की भी मांग कर रहे हैं।

आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां भी शामिल

- केंद्रीय कर्मचारियों की हड़ताल को कानपुर की आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों ने भी समर्थन दिया।

- कार्यकत्रियां सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने की मांग कर रही हैं।

नर्सेज ने भी दिया समर्थन

- नर्सेज ने भी देशव्यापी हड़ताल को समर्थन दिया है, जिससे अस्पतालों में भी काम ठप रहा।

-नर्सिग संगठन केंद्र सरकार की वादा खिलाफी से नाराज हैं। ऐसे में हैलट और उर्सला समेत सरकारी हॉस्पिटल्स की नर्सेज स्ट्राइक पर रहीं।

---------------------

हजारों करोड़ का लेनदेन प्रभावित

1200 करोड़ का बैकिंग कारोबार ठप

बैंकों की क्लियरिंग- 350 करोड़

नगद जमा व भुगतान-150 करोड़

आरटीजीएस व नेफ्ट- 225 करोड़

विदेशी विनिमय- 125 करोड़

फिक्स डिपॉजिट, ड्राफ्ट आदि- 100 करोड़

बीमा प्रीमियम व भुगतान-230 करोड़