वैसे दो दिन तक चलने वाले इस मतदान के लिए सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए हैं.

इस जनमत संग्रह का मकसद अपदस्थ किए गए राष्ट्रपति मोहम्मद मोर्सी के कार्यकाल में पारित संविधान की जगह नया संविधान लागू करना है.

मोर्सी को पद से हटाने के लिए इस नए संविधान के लिए मज़बूत समर्थन की ज़रूरत है.

कड़ी सुरक्षा

मोर्सी के संगठन मुस्लिम ब्रदरहुड मतदान का बहिष्कार कर रही है, हालांकि उसे पहले ही चरमपंथी संगठन घोषित किया जा चुका है.

सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार जनमत संग्रह के दौरान झड़पों में अब तक नौ मौतें हो चुकी हैं.

नया संविधान

-राष्ट्रपति के चार साल की अवधि वाले दो कार्यकाल हो सकते हैं और संसद राष्ट्रपति पर अभियोग लगा सकता है.

-इस्लाम राष्ट्रीय धर्म होगा लेकिन लोगों को अपना मत मानने की आज़ादी होगी जिससे अल्पसंख्यकों को कुछ हद तक सुरक्षा मिलेगी.

-संविधान में पुरुषों और महिलाओं के बीच समानता की गारंटी है.

-राजनीतिक दलों का गठन धर्म, नस्ल, लिंग या क्षेत्र के आधार पर नहीं होगा.

-अगले दो कार्यकालों के लिए सेना रक्षा मंत्री को चुनेगी.

मतदान शुरू होने के कुछ देर पहले क़ाहिरा के इंबाबा इलाक़े में कोर्ट परिसर के पास बम धमाका हुआ हालांकि उसमे किसी के हताहत होने की ख़बर नहीं है.

पूरे देश में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है. डेढ़ लाख से ज़्यादा सैनिक और दो लाख से ज़्यादा पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है.

बीबीसी की ओरला गुएरिन का कहना है कि जनमत संग्रह के लिए चलाया गया अभियान असंतुलित रहा है.

नए संविधान के पक्ष में सरकारी और निजी टीवी और रेडियो पर अभियान बहुत तगड़ा रहा जबकि इसके विपक्ष में पोस्टर लगाने वालों को गिरफ़्तार किया गया है.

'मोर्सी को हटाने की कवायद'

ज़्यादातर लोग इसे केवल मोर्सी को हटाने के लिए ज़रूरी समर्थन जुटाने की कवायद मान रहे हैं.

क़ाहिरा में एक मतदाता सालाह मुस्तफ़ा ने बीबीसी को बताया, ''पिछले साल का दस्तावेज़, जो एक डरावना संविधान था उसके मुक़ाबले में इस साल इसमें काफ़ी अधिकार शामिल किए गए हैं.''

मिस्र में नए संविधान पर मतदान,नौ मौतें

लेकिन मुस्लिम ब्रदरहुड की राजनीतिक इकाई के प्रवक्ता मोहम्मद सौदान ने कहा, ''ज़्यादातर लोग मतदान का बहिष्कार कर रहे हैं. इससे यह संदेश जाता है कि नई सत्ता स्वीकार्य नहीं है.''

वहीं अंतरिम राष्ट्रपति अदली मंसूर ने कहा है, ''लोगों को ये साबित कर देना चाहिए कि वह चरमपंथ से डरते नहीं हैं.''

आलोचकों का कहना है कि नया संविधान लोगों की क़ीमत पर सेना का हित साधता है. यह 2011 की क्रांति से पैदा हुई आकांक्षाओं को पूरा नहीं करता.

अगर जनता की 'हां' मिल जाती है तो नए चुनाव होंगे और अब इस बात के साफ़ संकेत मिल रहे हैं कि राष्ट्रपति मोर्सी को पद से बेदख़ल किए जाने के समर्थक रहे सेना प्रमुख जनरल सिसी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार होंगे.

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