लखनऊ (ब्यूरो)। विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 87 के तहत नियामक आयोग द्वारा गठित राज्य सलाहकार समिति की बैठक में बिजली दर बढ़ोतरी पर पेंच फंस गया है। बैठक में पांच सदस्यों ने बढ़ोतरी खारिज करने संंबंधी संयुक्त प्रस्ताव दिया है, जिसके बाद अब दर बढ़ोतरी की गेंद नियामक आयोग के पाले में है। उपभोक्ता परिषद की माने तो बिजली दर बढ़ोतरी किया जाना अब आसान नहीं होगा।

प्रस्ताव से उड़े होश

विद्युत नियामक आयोग में आयोग अध्यक्ष आरपी सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में आयोग सचिव द्वारा टैरिफ  के विभिन्न पैरामीटर पर एक प्रस्तुतीकरण किया गया और इसके बाद बैठक शुरू हुई। सलाहकार समिति की बैठक में पहली बार उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा समेत पांच सदस्यों द्वारा सर्व सम्मति से बढ़ोतरी खारिज कर बिजली दरों में कमी करने के लिये एक प्रस्ताव पेश करते ही बिजली कंपनियों के होश उड़ गये। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने मुद्दा उठाया कि बिजली कर्मचारी लंबे समय से बिना मीटर बिजली आपूर्ति का आनंद ले रहे हैैं। बिना मीटर के बिजली आपूर्ति किया जाना विद्युत अधिनियम 2003 के प्राविधानों के खिलाफ  है, इसलिये सभी विभागीय कर्मचारियों के घरों में मीटर लगाया जाये।

लामबंदी आई काम

राज्य सलाहकार समिति की बैठक में उपभोक्ता परिषद की लामबंदी काम आई। सदस्यों द्वारा संयुक्त प्रस्ताव में यह मुददा उठाया गया कि उदय स्कीम के तहत रेग्युलेटरी असेट के मद में विद्युत नियामक आयोग द्वारा प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 11851 करोड़ रुपये वर्ष 2016-17 तक निकाला गया है। ऐसे में सब्सिडी के बाद वर्ष 2019-20 में बिजली कंपनियों का गैप 9000 करोड़ बचता है। यदि उसको घटा कर देखा जाये तो उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 3851 करोड़ बच रहा है। ऐसे में उसके अनुपात में घरेलू, ग्रामीण किसानों व अन्य उपभोक्ताओं की बिजली दरों मे कमी की जाये और साथ ही तत्काल प्रभाव से रेग्युलेटरी सरचार्ज 4।28 प्रतिशत को समाप्त करते हुये वर्ष 2016।17 के बाद जो भी रेग्युलेटरी सरचार्ज वसूला गया उसके अनुपात में उपभोक्ताओं को रेग्युलेटरी लाभ प्रदान किया जाये।

ये रहे मौजूद

बैठक में आयोग सदस्य केके शर्मा, प्रमुख सचिव ऊर्जा आलोक कुमार, प्रबंध निदेशक अर्पणा यू, भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत आदि मौजूद रहे।

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