विक्रमादित्य यानि सूर्य के जैसा साहसी और चमकने वाला. जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि यह विमान वाहक पोत भारतीय रक्षा शक्ति को नई मजबूती प्रदान करेगा.

रिटायर्ड पोत से भारत के सबसे बड़ा विमान वाहक पोत का सफर

14 हजार करोड़ की लागत से बना आईएनएस विक्रमादित्य का निर्माण 1987 में सोवियत रूस में 'बाकू' के नाम से किया गया था. इसका दूसरा नाम एडमिरल गोर्शकोव भी था और यह इस नाम से ज्यादा प्रचलित हुआ. 1996 में पोस्ट वर्ल्ड वार के समय इसके रखरखाव मे हो रहे भारी खर्चे को लेकर इस पोत को रिटायर्ड कर दिया गया.

महंगा सौदा

20 जनवरी 2004 में भारत और रूस के बीच इस विमान वाहक पोत को लेकर एक समझौता हुआ था. काफी निगोशिएशन के बाद सन् 2009 में 2.35 बिलियन डॉलर में यह रक्षा सौदा पक्का हुआ.आईएनएस विक्रमादित्य के 2008 में ही रूस द्वारा भारत को सौंपने की संभावना थी, लेकिन बाद में डिलिवरी का समय बदलकर 2012 कर दिया गया, पर इसके ब्वॉयल में आई तकनीकी खराबी की वजह से इसे 2014 में सौंपा गया है.

2013 में ट्रायल पुरा

इस विमान वाहक पोत ने जुलाई 2013 में अपने सी ट्रायल को पुरा किया और एविएशन ट्रायल को

सितम्बर 2013 में इलने पुरा किया.

इस विमान वाहक पोत को लेकर दोनो देशों के मध्य विवाद भी हुआ था. 8 दिसंबर 2009 को खबर आयी कि 2.35 बिलियन डॉलर पर सहमति के साथ गोर्शकोव की कीमत पर भारत और रूस के बीच का गतिरोध समाप्त हो गया है. मॉस्को ने विमान वाहक के लिए 2.9 बिलियन डॉलर की मांग की थी, जो 2004 में दोनों पक्षों के बीच हुई मूल सहमति से लगभग तीन गुना अधिक थी. दूसरी ओर भारत चाहती था कि कीमत 2.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर की जाय.

पुतिन की भारत यात्रा में सौदा पक्का

तत्कालीन रूसी प्रधानमंत्री पुतिन की भारत यात्रा के एक दिन पहले दोनों सरकारों ने एडमिरल गोर्शकोव यानि इसका भारतीय नाम आईएनएस बिक्रमादित्य की कीमत को अंतिम रूप देते हुए 2.35 बिलियन अमेरिकी डॉलर तय किया.

आईएनएस बिक्रमादित्य की कहानी मतलब रूस के एडमिरल गोर्शकोव से भारत के आईएनएस बिक्रमादित्य तक के सफर में 10 साल से ज्यादा बक्त लगा तथा इस दौरान एडमिरल विष्णु भागवत और तत्कालीन रक्षा मंत्री के बीच का इस विमान को लेकर विवाद भी सामने आया.

14 जून 2014 एक अहम दिन

इतने सारे विरोधाभाषों के बाद अंतत: 14 जून को भारत का सबसे बड़ा विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य अपने सभी परीक्षण पूरे करने के बाद आज भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल हो गया है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जाकर इसका निरीक्षण भी किया.

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