फिल्हाल लोकसभा और स्टेट असेंबली इलेक्शंस के रिजल्टस कांग्रेस को पॉलिटिकल बांउड्री पर खड़ा कर दिया है. ऐसे में कांग्रेस को पार्टी वाइस प्रेसिडेंट राहुल गांधी एक बार फिर एक्सपेरिमेंटस के डायरेक्शन में ले जाने की तैयारी कर रहे हैं. कांग्रेस की रेप्युटेशन वापस लाने के लिए कांग्रेस लीडर अब राहुल के डायरेक्शन में ग्रासरूट लेबल से चेंज लाने कर कवायद स्टार्ट करेंगे. राहुल का कहना है कि कांग्रेस के जनरल सेकेरेट्रीज और दूसरे पार्टी से रिलेटेड ग्रुप्स स्टेटस और कंट्री में कांग्रेस को दोबारा स्ट्रांग बनाने का फार्मूला तलाशेंगे.

जनरल इलेक्शन में हार के बाद बनी एंटनी कमेटी की रिपोर्ट ने अगर पार्टी की टॉप लीडरशिप को हार के एलिगेशन से बरी किया था, तो वेडनेस डे पार्टी के वाइस प्रेसिडेंट ने पार्टी के जनरल सेकेरेट्रीज को बुलाकर वर्कस के बीच जाने का सजेशन दिया. वैसे उम्मीद तो ये थी कि राहुल इस मीटिंग में कुछ स्ट्रिक्ट डिसीजन लेंगे लेकिन फिल्हाल उन्होंने ऐसा कुछ न करके सिर्फ सबको कंसोल किया और फ्यूचर प्लानिंग के लिए रेडी होने के लिए कहा.  हालाकि उनकी इस लिनियेंसी का इफेक्ट पॉजिटिव नहीं लग रहा है. मीटिंग में ही मौजूद एक जनरल सेकेरेट्री के अकॉर्डिंग राहुल अभी तक फुलफ्लैश रिस्पांसिबिलटी नहीं लेना चाहते और पूरे ग्रुप के बीच में एक बने रहना चाहते हैं जिससे इनिशियेटिव लेने वाला कोई सामने नहीं आ पाता. लोगों को ये काफी डिस्करेजिंग लगता है.

मीटिंग में राहुल ने पार्टी जनरल सेकेरेट्रीज को ब्लॉक और डिस्ट्रिक्ट लेबल के पार्टी वर्कस से मिलने और उनसे पार्टी के फ्यूचर के रोडमैप को लेकर बात करने को कहा है. इन सभी लीडर्स को इससे रिलेटेड दो महीने में एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए भी कहा गया है. मीटिंग में कांग्रेस पार्टी के सभी जनरल सेकेरेट्रीज ने पार्टिसिपेट किया था. राहुल लोकसभा इलेक्शन के बाद से ही डिफरेंट स्टेटस से आने वाले पार्टी के यंग और सीनियर लीडर्स से अलग-अलग ग्रूप्स में मुलाकात करते रहे हैं.

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