दौराला महायोजना पर शासन ने एमडीए से तलब की रिपोर्ट

2003 में बनी महायोजना अभी तक नहीं हो सकी प्रभावी

शासन ने एमडीए अधिकारियों से किया जवाब-तलब

Meerut। दौराला महायोजना एक बार फिर चर्चा में है। शासन ने मेरठ विकास प्राधिकरण से जबाव-तलब किया है कि आखिर क्यों अभी तक दौराला महायोजना प्रभावी नहीं हुई है? गत 15 सालों से प्राधिकरण और शासन की गलियारों में दौड़ रही दौराला महायोजना को धरातल पर लाने के लिए एक बार फिर शासन ने पहले शुरू की है। शासन ने एमडीए से दौराला महायोजना पर जबाव-तलब किया है।

जरा समझ लें

मेरठ महायोजना 2021 के विस्तारीकरण के साथ ही 2003 में दौराला क्षेत्र को मेरठ विकास प्राधिकरण से जोड़ा गया और एक और उपनगर की कल्पना के साथ ही मेरठ विकास प्राधिकरण ने दौराला महायोजना बनाई। 2003 से इस योजना पर काम शुरू हुआ जिसमें समय-समय पर संशोधन होते रहे किंतु यह अभी तक प्रभावी नहीं हो सकी है। जिसके चलते प्राधिकरण दौराला महायोजना क्षेत्र में निर्माण के नक्शों को एप्रूव नहीं कर रहा है। ऐसे में इस क्षेत्र में धड़ल्ले से अवैध निर्माण हो रहे हैं। प्राधिकरण ने एक बार फिर एमडीए बोर्ड की अनुमति के बाद एप्रूवल के लिए दौराला महायोजना शासन में भेजी है। वहीं एमडीए के प्रस्ताव को एप्रूव करने से पहले शासन ने दौराला महायोजना के संबंध में अब तक की गई कार्यवाही तलब कर ली है।

दौराला महायोजना 2021

26 जून 2003-दौराला क्षेत्र को मेरठ विकास प्राधिकरण में शामिल किया गया।

18 अक्टूबर 2004-72वीं बोर्ड बैठक में दौराला महायोजना बनाने पर निर्णय लिया गया।

7 अगस्त 2008-85वीं बोर्ड बैठक में दौराला महायोजना को अनुमोदित कर शासन को भेजने का निर्णय लिया गया।

7 नवंबर 2008 और 8 अक्टूबर 2009-शासन स्तर पर बैठक हुई और दौराला महायोजना में संशोधन किया गया।

17 नवंबर 2009-संशोधित महायोजना अनुमोदन के लिए शासन को भेजी गई।

25 दिसंबर 2009-महायोजना पर आपत्तियां और सुझाव आमंत्रित किए गए।

रैपिड रेल ट्रांजिट सिस्टम, डीएफसी लॉजिस्टिक पार्क एवं अन्य परियोजना के मद्देनजर एक बार फिर दौराला महायोजना में संशोधन का निर्णय लिया गया।

13 दिसंबर 2019-एक बार फिर दौराला महायोजना में संशोधन का निर्णय लिया गया।

29 दिसंबर 2011-संशोधित महायोजना पर शासन स्तर पर एक बार फिर बैठक हुई, संशोधनों को प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में मंजूरी के निर्देश शासन ने दिए।

25 अप्रैल 2012-97वीं बोर्ड बैठक में आपत्ति-सुझाव आमंत्रित करने का निर्णय लिया गया।

17 दिसंबर 2012 और 26 अप्रैल को हुई बोर्ड मीटिंग्स में दौराला महायोजना को एनसीआर प्लानिंग बोर्ड में रखने पर फैसला हुआ।

25 अप्रैल 2013-एनसीआर प्लानिंग बोर्ड से मंजूरी के बाद एक बार फिर आपत्ति और सुझाव का फैसला लिया गया।

18 जून 2014-102वीं बोर्ड बैठक में निर्णय लिया गया कि संशोधित योजना को शासन में भेज दिया जाए, जिसमें एसीआर के प्रतिनिधि की आपत्ति को शामिल किया जाए।

अवैध मंजूरी पर गिरी गाज

शासन की ओर से मंजूरी न मिलने के वाबजूद दौराला में 16 कालोनियों के मानचित्र वर्षो पहले एमडीए ने स्वीकृत कर दिए थे। कृषि भूमि पर बसाई गई इन कालोनियों के शासन ने मानचित्र तो रद नहीं हुए किंतु लैंडयूज चेंज कराने के आदेश दिए। शासन के इस निर्देश के बाद एमडीए ने 16 कालोनियों को विकसित करने वाले 11 बिल्डरों को 41 करोड़ 89 लाख 88 हजार रुपए जमा करने का नोटिस जारी कर दिया। हालांकि इस आदेश के विरोध में बिल्डर कोर्ट चले गए और अभी तक किसी ने जुर्माने की अदायगी नहीं की। वहीं 2012 से 2018 के बीच बिना अनुमति अवैध तरीके से नक्शों को पास करने के आरोप में प्राधिकरण के 12 अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई भी चल रही है।

अनुमति के लिए दौराला महायोजना एक बार फिर शासन के पाले में है। योजना को प्रभावी न करने के संबंध में पूछे गए शासन के सवाल का जबाव दिया जा रहा है। दौराला महायोजना के साथ-साथ विस्तारित क्षेत्र में नक्शों को पास करने की अनुमति भी शासन से मांगी गई है।

इश्तियाक अहमद, मुख्य नगर नियोजक, एमडीए