ऐसा बोले अनूप जलोटा
यहां अनूप जलोटा ने कहा कि इन दिनों चलन बन गया है साहित्यकारों व कलाकारों की ओर से सम्मान को लौटाने का। उनका कहना है कि देश की ओर से सम्मान मिलना बहुत गर्व की बात है। इस क्रम में जो भी लोग उनको मिलने वाले सम्मान को लौटा रहे हैं, वे देश का अपमान कर रहे हैं।

इसे बताया देश का अपमान
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सम्मान किसी पार्टी विशेष की ओर से नहीं दिया जाता। बल्िक यह सम्मान सालों से चली आ रही परंपराओं के आधार पर सरकार की ओर से दिया जाता है। उनका ऐसा मानना है कि अगर आप विरोध करना चाहते हैं, तो इसके और भी तरीके होते हैं। इसके इतर देश का सम्मान लौटाना देश का अपमान करने के बराबर है।
   
फिल्म संस्थान के विवाद पर भी टिप्पणी
इतना ही नहीं अनूप जलोटा ने पुणे फिल्म संस्थान में खड़े हुए विवाद पर भी बोला। उन्होंने कहा कि वहां भी बेवजह ही विवाद को बढ़ाया जा रहा है। उनके अनुसार अध्यक्ष पद पर गजेंद्र चौहान का विरोध बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। सिर्फ कुछ छात्र नेतागिरी के फेर में अन्य छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। उनके अनुसार ये परंपरा वाकई काफी दुखद है कि छात्र चुनते हैं कि उनका प्रिंसिपल कौन होगा।

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