RANCHI : दवा कंपनियों और डॉक्टरों के बीच 'डील के खेल' में रिस आनेवाले गरीब मरीजों की जेब कट रही है। रिस स्थित जनौषधि केंद्र में 127 किस्म की जेनेरिक मेडिसिन्स उपलध हैं, लेकिन ज्यादातर डॉक्टर इनके बदले सेम कंपोजिशन की महंगी दवाइयां लिख रहे हैं। मरीज और उनके परिजन डॉक्टरों के प्रिसकिप्शन के मुताबिक बाहर की मेडिकल शॉप्स से दवाइयां खरीदते हैं। जनौषधि केंद्र से उन्हें जो दवा 3 रुपए में मिल सकती है, उसी कंपोजिशन की दवा के लिए उन्हें 30 रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं।

बदले में होते हैं उपकृत

रिस में यूं तो आधिकारिक रूप से मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के डॉक्टरों से मिलने पर रोक है, लेकिन हकीकत यह है कि यहां हर डॉक्टर के चैंबर और ओपीडी के बाहर विभिन्न कंपनियों के एमआर जमे रहते हैं। ये ड्यूटी आवर में ही डॉक्टरों से मिलते हैं, अपनी कंपनी की दवाइयां लिखने की गुजारिश करते हैं और जरूरत के अनुसार उन्हें उपकृत कराते हैं। हाल यह है कि अधिकतर डॉक्टर एमआर द्वारा बताई गई दवाइयां ही प्रेस्क्राइब कर रहे है।

ऐसे चलता है खेल

हास्पिटल में दिखाने आने वाले मरीजों को डॉक्टर दवा लिखने के बाद कहते हैं कि जो दवा प्रिस्किप्शन में लिखी गई है वही खरीदना। मेडिकल वाले इसके बदले दूसरी दवा दे देते है। यहां तक कि कई डॉक्टर या उनके जूनियर मरीज को खास मेडिकल शॉप से ही दवा खरीदने की हिदायत देते हैं। एक कंपनी के एमआर ने बताया कि डॉक्टर साहब को पहले दवा लिखने के लिए मनाना पड़ता है। जब वह तैयार हो जाते है और दवाएं लिखने लगते हैं तो उन्हें उपकृत करना पड़ता है। दवा जितनी लिखी जाएगी, उसी के हिसाब से परसेंटेज पहुंचा दिया जाता है।

13.50 में मिलती दवा खर्च करने पड़े 90 रुपए

हेसल, रांची के उपेंद्र प्रसाद अपने इलाज के लिए रिस के इएनटी डिपार्टमेंट की ओपीडी में पहुंचे। वहां डॉक्टर प्रदीप कुमार सिंह ने उन्हें देखा। उन्होंने कैप्सूल टेपरा डीएसआर सहित चार किस्म की दवाइयां लिखीं। टेपरा डीएसआर के दस कैप्सूल का पत्ता उन्हें 90 रुपए में खरीदना पड़ा, जबकि इसी कंपोजिशन का कैप्सूल रिस के जनौषधि केंद्र में महज 13 रुपए 50 पैसे में उपलध है।

रोक के बावजूद एमआर जमे रहते हैं डॉक्टर चैंबर के बाहर

रिस में रोक के बावजूद तमाम डॉक्टर्स के चैंबर में मेडिकल रिप्रजेंटेटिव्ज जमे रहते हैं। डॉक्टर वही दवाई लिखते हैं, जो एमआर सुझाते हैं। बुधवार को ओपीडी में दिखानेवाले बंगाल के विश्वजीत को डॉक्टर ने जो दवाइयां लिखीं, उनमें एक भी जनौषधि केंद्र में नहीं मिली।

कुछ डॉक्टर हैं अपवाद

हालांकि रिस में कुछ ऐसे भी डॉक्टर हैं, जो वैसी दवाइयां लिखते हैं जो जन औषधि केंद्र में आसानी से अवेलेवल होती है। एक डॉक्टर बताते हैं कि जो भी दवाइयां लिख दो, वह आंख मूंदकर खरीद लेता है। उसे तो यह भी नहीं मालूम कि उसी कंपोजिशन की दवा जन औषधि केंद्र में सस्ती मिलेगी।