यहां गर्ल्स ट्रैफिक रूल्स फॉलो नहीं करने में ब्वॉयज से पीछे नहीं हैं। ट्रैफिक डीएसपी जीएन सिंह भी इस बात को मानते हैं। उन्होंने बताया कि टोटल फाइन में करीब 15 परसेंट शेयर लड़कियों का होता है।

पुलिस भी परेशान

ट्रैफिक रूल्स तोडऩे वाली गर्ल्स के बहाने सुनकर कई बार तो पुलिसवाले भी परेशान हो जाते हैं। बिष्टुपुर ट्रैफिक पोस्ट में पोस्टेड सब इंस्पेक्टर रविदास कहते हैं कि कई बार तो लड़कियां पकड़े जाने पर रोने लगती हैं। वहीं डीएसपी जीएन सिंह बताते हैं कि हम लड़कियों को थाने में रख नहीं सकते। इसलिए उन्हें पैरेंट्स को बुलाने के लिए कहा जाता है। कई बार लड़कियां अपने पैरेंट्स को बुलाने की बजाय नकली पैरेंट्स को बुला लेती हैं।

इनके हैं बहाने हजार

आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने सैटरडे को ट्रैफिक रूल्स वॉयलेट करती ललड़कियों से इसका रीजन पूछा तो तरह-तरह के बहाने बनाने लगीं, मसलन

-हेलमेट घर में छूट गया।

-अरे छोडि़ए ना सब चलता है।

-जल्दबाजी में भूल गई।

-हेयर स्टाइल खराब करना है क्या?

-फ्रेंड रास्ते में मिल गई थी, क्या करती।

-हेलमेट मार्केट में कहीं छूट गया है, उसे ही ढूंढ रही हूं।

-हेलमेट खो गया है, खरीदने ही जा रही थी।

रैश ड्राइविंग और ट्रिपल लोडिंग के मामले में लड़कियां काफी आगे हैं। ट्रैफिक रूल्स वॉयलेशन के मामले में हर उम्र की लड़कियां शामिल हैैं। कई बार उन्हें चेतावनी भी दी जाती है,  लेकिन कोई खास असर नहीं पड़ता।

जीएन सिंह, ट्रैफिक डीएसपी, जमशेदपुर