- जांच के लिए आए रेलवे अधिकारियों ने जताई आशंका, मौसम के असर से ट्रैक में आया जर्क

-मौसम को देखते हुए ट्रेन की स्पीड को कम करने के लिए भी नहीं लगाए गए थे कॉशन

KANPUR। रूरा स्टेशन पर सियालदह-अजमेर एक्सप्रेस के डिरेलमेंट की वजहों को लेकर रेल अधिकारियों ने ट्रैक की खराबी का शिगूफा छोड़ा है। मालूम हो कि पुखरायां हादसे के बाद भी शुरुआत में रेल अफसर कोच में खराबी की बात कर रहे थे, लेकिन बाद में ट्रैक की खामी की बात पर आ गए थे। यही बात इस हादसे में भी सामने आई है। हालांकि खुलकर कोई भी अधिकारी अभी बोलने को तैयार नहीं है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि रेलवे स्टेशन से चंद कदम की दूरी पर अगर ट्रैक में जर्क था तो इसका पता स्टेशन पर किसी को क्यों नहीं था। इस ट्रैक पर हर 5 मिनट में एक ट्रेन गुजरती है। सियालदाह एक्सप्रेस के गुजरने से पहले भी एक मालगाड़ी इसी ट्रैक से गुजरी थी। उस दौरान कोई जर्क महसूस नहीं हुआ।

्रैक मेंटीनेंस पर सवाल

अगर रेल अधिकारियों की ट्रैक में जर्क की बात पर यकीन करें तो कई सवाल खड़े होते हैं। जैसे कि इतने अहम रूट पर एक बड़े स्टेशन के पास भी ट्रैक का मेंटीनेंस ठीक से नहीं हुआ। हादसे के बाद ट्रैक की दशा इसकी जर्जर हालत को बयां कर रही थी। रेलवे ट्रैक के कई जगहों पर टुकड़े हो चुके थे। मौसम और कोहरे को देखते हुए स्टेशन के पास ट्रेन की स्पीड को सीमित करने के लिए कॉशन नहीं लगाये जाने पर भी सवाल उठते हैं।

बदलता मौसम बना सिर दर्द

रेलवे अधिकारियों की मानें तो पल-पल मौसम बदल रहा है। कभी दोपहर में मौसम अधिक गर्म हो जाता है तो भोर के समय टेम्प्रेचर एकदम नीचे गिर जाता है। ऐसे मौसम में ट्रैक जर्क होने की आशंका अधिक बनी रहती है। वैसे इन हालात के लिए भी रेलवे के मेंटीनेंस के नियम हैं, जिसके तहत रेल ट्रैक को निर्धारित समय पर डिस्ट्रेस किया जाता है। इस ट्रैक पर इस प्रक्रिया को अपनाया गया या नहीं इस पर अधिकारियों के पास जवाब नहीं है।

ओवर स्पीड थी ट्रेन?

हादसे के वक्त ट्रेन की क्या स्पीड थी, इसको लेकर रेलवे अधिकारी कुछ साफ नहीं बता पा रहे हैं। हालांकि लोकोमोटिव में लगी स्पीड डिवाइस को निकाल लिया गया है। ट्रेन सुपरफास्ट थी। रूरा स्टेशन से गुजरते समय कोई कॉशन भी नहीं था। इस दौरान स्टेशन से ठीक पहले ट्रैक पर कैंची थी, फिर पुल और इसके बाद एक कैंची को पार करते हुए प्लेटफार्म-3 की मेन लाइन से इसे गुजारा जाना था। ऐसे में ट्रेन की स्पीड सामान्य होने की आशंका है। जिसके बाद कपलिंग टूटना या ट्रैक की खराबी, यही दो वजह हादसे के लिए जिम्मेदार हो सकती हैं।

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ड्रोन से कराई घटनास्थल की वीडियो रिकॉर्डिग

- इंदौर-पटना एक्सप्रेस दुर्घटना में घटनास्थल की वीडियो रिकार्डिग न कराने पर उठाए थे सवाल

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द्मड्डठ्ठश्चह्वह्म। 40 दिन पहले पुखरायां रेल हादसे की जांच के दौरान की गई गलती से रेलवे अधिकारियों ने सबक लिया। वेडनसडे मॉर्निग रूरा के पास सियालदह-अजमेर एक्सप्रेस हादसे के बाद अधिकारियों ने पूरे घटनास्थल की ड्रोन कैमरे से वीडियो रिकॉर्डिग कराई। बता दें कि इंदौर-पटना एक्सप्रेस दुर्घटना में सीआरएस जांच में दुर्घटनास्थल की वीडियो रिकॉर्डिग न कराने पर रेलवे अधिकारियों ने ही सीआरएस की जांच पर सवाल उठा दिया था। रेलवे अधिकारियों का मानना है कि घटना की जांच करने में घटनास्थल का वीडियो काफी महत्व रखता है। इसके माध्यम से जांच के दौरान छूटे कई साक्ष्य घटना का वीडियो देखने में सामने आ जाते हैं। इसके चलते ही सियालदाह-अजमेर ट्रेन दुर्घटना का ड्रोन कैमरे के जरिए वीडियो रिकार्ड किया गया।