पुलिस उप महानिरीक्षक (जेल) मलिक मुबाशिर द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के मुताबिक आरोपी अमेर आफताब और मुदस्सर ने कहा कि वे सरबजीत से नफरत करते थे क्योंकि वह लाहौर में 1990 में हुए बम विस्फोट का दोषी था, जिसमें 14 पाकिस्तानी मारे गए थे. वे इस हमले में मारे गए लोगों की मौत का बदला लेना चाहते थे.  

49 साल के सरबजीत पर हमले के बारे में दोनों कैदियों ने कहा कि उन्होंने चम्मचों को धारदार बनाया था ताकि उसका चाकू की तरह यूज किया जा सके. उन्होंने घी के कनस्तर के टुकड़ों से ब्लेड बनाया और ईंटों को इकट्ठा किया. रिपोर्ट में आरोपियों के हवाले से कहा गया है कि जैसे ही उन्हें मौका मिला उन्होंने अपनी योजना को अंजाम दिया.

हमले के पीछे किसी आतंकी संगठन का हाथ होने की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता. पाक इस मामले को रफादफा करने में लगा है. रिपोर्ट में हमले का कारण जेल एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से बड़ी सुरक्षा चूक बताया गया है. जेल के दो वार्डन ने कहा कि उन्होंने सरबजीत को बचाने की कोशिश की जिसमें उन्हें मामूली चोटें आई.

पाक पहुंची सरबजीत की फैमिली

लाहौर के जिन्ना अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे सरबजीत से मिलने के लिए उनकी फैमिली संडे को बाघा बार्डर के रास्ते लाहौर पहुंच गए हैं. पाकिस्तान रवाना होने से पहले परिजनों ने स्वर्ण मंदिर में माथा टेका और सरबजीत की सलामती की दुआ मांगी.

इंडियन ऑफीसर को सरबजीत से नहीं मिलने दिया

पाकिस्तान ने एक बार फिर अपनी हरकतों से यह जता दिया है कि वह इंडिया के साथ अपने रिश्ते सुधारने के बारे में नहीं सोच रहा है. पाकिस्तान ने इंडियन ऑफिसर्स को सरबजीत से मिलने की इजाजत नहीं दी गई.

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