छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र: महात्मा गांधी मेमोरियल (एमजीएम) अस्पताल अब अव्यवस्था का पर्याय बन गया है. यहां न पर्याप्त बेड हैं, न पर्याप्त डॉक्टर. साफ-सफाई चौपट. कुछ है तो बस कागजी प्रस्ताव. ये हो जाएगा..वो हो जाएगा.. वाला रवैया. जमीन पर होता कुछ दिखता नहीं. पहले भी मरीज फर्श पर लेटकर इलाज कराते थे, आज भी कराते हैं. यह हालत तब भी नहीं बदली, जब दो माह में झारखंड सरकार के मंत्री सरयू राय खुद पांच बार अस्पताल का दौरा कर चुके हैं. उनका पांचवा दौरा सह निरीक्षण बुधवार को था. निराशाजनक बात यह कि पांचवे दौरे में भी मंत्री एमजीएम की व्यवस्था देख मायूस हुए. नाराज भी हुए. मायूस इमरजेंसी के एक-एक बेड पर तीन-तीन मरीजों को भर्ती देख हुए. कई मरीज तो कुर्सी पर ही इलाज करा रहे थे. इसका कारण पूछा तो मायूसी और बढ़ी. बताया गया कि दस बेड के इमरजेंसी में 38 बेड एडजस्ट किए गए हैं. अब और बेड नहीं बढ़ा सकते. इंच भर जगह नहीं है. आठ साल पहले इमरजेंसी को 50 बेड का बनाने का 'प्रस्ताव' भेजा गया था. यह 'प्रस्ताव' अब तक 'प्रस्ताव' ही है. इस बीच आठ साल गुजर गए. इमरजेंसी में गंदगी देख मंत्री नाराज हुए तो सफाई कराई गई. वहीं आयुष्मान भारत योजना के तहत खोले गए काउंटर भी बंद थे. कंप्यूटर ऑपरेटरों की कमी से यह समस्या उत्पन्न हो रही है.