-शहर के आधे स्कूल रहे बंद तो आधे स्कूलों में लगी क्लासेज
- इलेक्शन ड्यूटी में लगा दिए स्कूली वाहन, बच्चों को स्कूल जाने में हुई समस्या
बरेली:
लोकसभा इलेक्शन के चलते प्रशासन ने हजारों स्कूली बच्चों को बे 'बस' कर दिया. इससे अर्ली मॉर्निंग और दोपहर को बच्चों को उनके पेरेंट्स ही स्कूल पहुंचाने और रिसीव करने के लिए गए. क्योंकि शहर के कई स्कूल्स ने तो वाहन इलेक्शन ड्यूटी में जाने के बाद भी छुट्टी नहीं की और डेली की तरह स्कूल ओपन रखा. हालांकि जिला प्रशासन स्कूल खोलने या बंद होने के लिए कोई आदेश जारी नहीं किया गया था. इसी का नतीजा रहा कि स्कूल्स ने मंडे को अपनी खूब मनमानी की.
कई बच्चों की लगी अब्सेंट
इलेक्शन ड्यूटी में स्कूली वाहनों को जिला प्रशासन ने संडे से ही लगा दिया था. इसके बाद से सभी स्कूली वाहनों की सैटरडे और संडे को ड्यूटी बांट दी गई. मंडे को सुबह से ही पोलिंग पार्टियों को पोलिंग सेंटर पर पहुंचाने में इन वाहनों का लगा दिया गया. इससे कोई स्कूल वाहन बच्चों को स्कूल पहुंचाने और वापस लाने के लिए नहीं पहुंचा. इससे कुछ स्कूलों ने बच्चों और उनके पेरेंट्स की समस्या को देखते हुए स्कूल इलेक्शन तक के लिए क्लोज कर दिया. लेकिन कुछ स्कूल खुले रहे.
डीएम के आदेश का था इंतजार
स्कूल खोलने या बंद करने के पीछे स्कूल प्रिंसिपल का कहना था कि प्रशासन का इस संबंध में कोई आदेश नहीं मिला था. इसी के चलते स्कूल ओपन रखे गए.
यह स्कूल रहे बंद
-सेक्रेड हाटर्स दोनों ब्रांच
-बीबीएल दोनों ब्रांच
-हार्टमन कॉलेज
-पद्मावती एकेडमी
-महर्षि विद्या मंदिर
-जीडी गोयंका
-डीपीएस
-अलमा मातेर
-पर्ल्स नेक्सट जेनरेशन स्कूल
-विद्या भवन
-थ्री डॉट्स
-वुडरो स्कूल
-एमपीएस
-आरआईएस
-आरएमपीएस पुलिस लाइंस
-राधा माधव पब्लिक स्कूल
-जिंगल वेल्स स्कूल
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यह स्कूल रहे ओपन
-जीआरएम
-बिशप चाइल्ड केयर
-बिशप कोनराड
-जीपीएम
-सेंट मारिया गौरेटी
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बोले पेरेंट्स
स्कूल के वाहन जब इलेक्शन ड्यूटी में लगा दिए हैं तो डीएम को सभी स्कूल्स को भी बंद करने का नोटिस कर देना चाहिए. स्कूल्स के लिए भी कोई रूल्स नहीं बचा है. कुछ ओपन हैं तो कुछ बंद हैं.
अमित खंडेलवाल
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जब स्कूल के वाहन पोलिंग पार्टियों को ले जाने के लिए लगा दिए तो स्कूल भी बंद होना चाहिए. सुबह बच्चों को खुद छोड़ने जाना पड़ा और दोपहर में भी लेने के लिए जाना पड़ा.
योगेश
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इलेक्शन के चलते कुछ स्कूल तो बंद हैं लेकिन कुछ मनमानी कर स्कूल ओपन किए रहे. ऐसे में पेरेंट्स को मुश्किल का सामना करना पड़ा. जहां सुबह बच्चों को छोड़ने के लिए जाना पड़ा तो दोपहर को भी ऑफिस छोड़कर लेने जाना पड़ा.
सतेन्द्र
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स्कूल्स के वाहन प्रशासन ने लिए, लेकिन स्कूल ने बच्चों की छुटटी भी नहीं की है. जबकि इलेक्शन में ड्यूटी भी लगी तो सुबह खुद बच्चों को छोड़कर आया, दोपहर में बच्चे को वापस लाने के लिए किसी दूसरे को भेजना पड़ा. काफी मुश्किल का सामने हुआ.
रवि, एडवोकेट