इंसान रिटायर हो जाता है, तो क्या उसका दिमाग काम करना छोड़ देता है ? क्या एक ऐसे इंसान, जिन्हें हमेशा व्यस्त रहने की आदत है, वह अचानक से जब नौकरी के दिन पूरे कर लेता है, तो बस यही सोच कर दिन गुजार दे कि अब यही उसका नसीब है या फिर अपनी सेकेण्ड इनिंग को भी लाजवाब बनाने की कोशिश करे। शर्माजी नमकीन, हमारे और आपके हम सबके बीच की कहानी है, हमारे परिवार के उस सदस्य की कहानी है, जो रिटायर होने के बाद भी खुद को व्यस्त रखने की जद्दोजहद में लगा है। मीडिल क्लास की बड़ी ही प्यारी कहानी दर्शा रही है यह फिल्म पढ़ें पूरा रिव्यू। यह फिल्म इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि यह ऋषि कपूर की आखिरी फिल्म है और उन्हें एक बेहतरीन ट्रिब्यूट दिया गया है, इस कहानी के माध्यम से।

फिल्म : शर्माजी नमकीन

कलाकार : ऋषि कपूर, परेश रावल, जूही चावला, शीबा चड्डा
निर्देशक : हितेश भाटिया
ओटीटी चैनल : अमेजॉन प्राइम वीडियो
रेटिंग : 3.5 स्टार्स

क्या है कहानी
दिल्ली के एक आम से घर में रहने वाले बीजी शर्मा ( ऋषि कपूर और परेश रावल) की कहानी है, शर्माजी नमकीन। शर्माजी को जबर्दस्ती वीआरएस दे दिया गया है और अब वह खुद को व्यस्त रखने के हर दिन कोई न कोई नुस्खे ढूंढते रहते हैं, उनके अपने दो बड़े बच्चे हैं। एक नौकरी करता है और एक डांसर बनने का सपना देख रहा है। बच्चों को अपने पिता की खास परवाह नहीं है, पिता घर के सारे काम निबटाते हैं, लेकिन वह कुछ अलग करना चाहते हैं। लेकिन बच्चे उन्हें योग क्लास करने की सलाह देते हैं। शर्माजी भी ठान लेते हैं कि वह कुछ अलग करके ही रहेंगे, ऐसे में उनके दोस्त चड्डा( सतीश कौशिक) बताते हैं कि एक महिलाओं की मण्डली है, जहाँ कीर्तन का खाना बनाना है, शर्माजी वहां पहुंच जाते हैं, तब पता चलता है, वह किटी पार्टी है, लेकिन धीरे-धीरे वह खुद को व्यस्त रखने के लिए कूक बन कर खुश हो जाते हैं। क्या होता है, जब उनके बच्चों के सामने उनका यह सच सामने आता है और किस तरह कहानी में और भी ट्विस्ट आते हैं, यह जानने के लिए आपको पूरी फिल्म देखनी होगी।

क्या है अच्छा
निर्देशक ने एक रिटायर इंसान की नब्ज को और उनके इमोशन को खूबसूरती से पकड़ा है, मिडिल क्लास की मासूमियत, किरदारों का भोलापन और कहानी का मैलोड्रामैटिक न होना कहानी को खास बना जाता है। इस फिल्म में कुछ दृश्यों में ऋषि, कुछ में परेश का आना, ऐसे में एक ही किरदार को दो कलाकारों द्वारा निभाते हुए देखा जाना, काफी रोचक है और नया एक्सपेरिमेंट है, हिंदी सिनेमा में। रिटायर इंसान की सेकेण्ड पारी कितनी कठिन हो जाती है, इस फिल्म में इस बात को खूबसूरती से दर्शाया है। एक प्यारी सी पारिवारिक फिल्म है, जिसमें खूब हास्य भी है और इमोशन भी।

क्या है बुरा
थोड़ी इमोशनल घटनाओं की कमी नजर आई है, वह अगर और अच्छे से बिल्ड अप होते तो कहानी और बेहतर होती।

अभिनय
ऋषि कपूर एक आखिरी बार बड़ी ही मासूमियत भरी किरदार निभा गए हैं, परेश रावल ने भी अपने हिस्से की जिम्मेदारी अच्छे से पूरी की है। जूही चावला का नेचुरल अभिनय इस फिल्म की जान है। सतीश कौशिक, शीबा चड्डा और आयेशा रजा ने कम दृश्यों में ही इस फिल्म की रौनक बढ़ा दी है।

वर्डिक्ट
क्राइम और थ्रिलर के बीच एक बेहतर कहानी वाली पारिवारिक फिल्म है, वर्ड ऑफ माउथ से पसंद की जाएगी फिल्म

Review By- Divya Shrivastava

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