- भाजपा में सीएम चेहरे पर फैसला होना अभी बाकी

- फायर ब्रांड नेताओं से लेकर अच्छा काम करने वालों पर नजर

- सुषमा स्वराज का नाम भी चर्चा में, स्मृति की उम्मीदें कम

LUCKNOW: अखिलेश, मायावती व शीला दीक्षित के मुकाबले भारतीय जनता पार्टी किसे यूपी चुनाव में अपना मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाएगी, यह सवाल फिर से प्रासंगिक हो गया है। कांग्रेस ने शीला दीक्षित को सीएम चेहरा बनाकर भाजपा की चुनौतियों में इजाफा कर दिया है। बदले हालात में पार्टी को एक बार फिर अपने फायर ब्रांड नेताओं से लेकर अच्छा काम करने वाले केंद्रीय मंत्रियों की यूपी चुनाव में उपयोगिता को परखना पड़ रहा है। शीला दीक्षित के मुकाबले केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज को यूपी चुनाव का अगुवा बनाने की चर्चा है तो गांधी परिवार को मात देने के लिए वरुण गांधी को आगे करने की सुगबुगाहट भी तेज होती जा रही है।

स्मृति की उम्मीदें कम

कुछ दिन पहले तक जहां स्मृति ईरानी को सीएम चेहरे का प्रबल दावेदार माना जा रहा था, केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल के बाद यह संभावना धूमिल पड़ चुकी है। हाल ही में कानपुर में हुई आरएसएस की बैठक में योगी आदित्यनाथ का नाम भी चर्चा में रहा लेकिन इसके लिए केंद्रीय नेतृत्व को राजी करना टेढ़ी खीर बन सकता है। दरअसल जिस तरह यूपी चुनाव को लेकर कांग्रेस में उच्च स्तर पर बड़े फेरबदल होने की संभावना जताई जा रही है, उसे देखते हुए भाजपा को भी कोई बड़ा फैसला लेने की जरूरत आन पड़ी है। कांग्रेस के सूत्रों की मानें तो यूपी चुनाव में प्रचार की बागडोर प्रियंका गांधी के हाथों में रहेगी, इसे देखते हुए उन्हें माकूल जवाब देने वाले नेता की तलाश तेज हो गयी है। मालूम हो कि प्रियंका गांधी द्वारा करीब सौ सीटों पर प्रचार किया जाना है। इनमें से ज्यादातर सीटें पूर्वी उप्र की हैं जहां भाजपा मजबूत स्थिति में है।

डॉ। महेश शर्मा भी फेहरिस्त में

भाजपा का सीएम फेस बनने वालों की फेहरिस्त में डॉ। महेश शर्मा का नाम भी जोड़ा जा रहा है। उन्हें आरएसएस की पसंद भी बताया जाता है। नोएडा निवासी डा। शर्मा भी दिल्ली में शीला दीक्षित के कार्यकाल में हुई गड़बडि़यों को लेकर चुनाव में भाजपा के लिए मुफीद साबित हो सकते हैं। हालिया मंत्रिमंडल फेरबदल में उन्हें प्रमोट करने की सुगबुगाहट भी थी जिससे माना जा रहा है कि वे पार्टी हाईकमान की गुड बुक में भी है। उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी न दिए जाने से यह संभावना जताई जा रही है कि यूपी चुनाव में उनका सही इस्तेमाल किया जा सकता है।