कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। चर्चित चेहरों का राजनीति में आना कोई नया नहीं है। बाॅलीवुड एक्टर से लेकर क्रिकेटर्स तक राजनीतिक पार्टियां मशहूर हस्तियों को चुनाव में भुनाने की कोशिशें करती रहती है। इसमें कुछ को सफलता मिलती है तो कुछ विफल हो जाते हैं। भारतीय क्रिकेटर्स के साथ भी ऐसा हुआ है। गौतम गंभीर और अजहर जैसे बड़े स्टार क्रिकेटर जहां राजनीति में हिट हुए हैं, वहीं नवाब पटौदी और कांबली जैसे क्रिकेटर्स हारकर वापस लौटे।

गौतम गंभीर
भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुए थे। गंभीर ने ईस्ट दिल्ली से चुनाव लड़ा और जीते भी। गंभीर मौजूदा सांसद हैं। राजनीति से पहले क्रिकेट की पिच पर गंभीर ने अपना सिक्का जमाया। भारत के 2007 आईसीसी वर्ल्ड टी 20 और 2011 विश्व कप जीत में गंभीर की अहम भूमिका रही।

मोहम्मद अजहरुद्दीन
स्टाइलिश हैदराबादी बल्लेबाज मोहम्मद अजहरुद्दीन ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत 2009 में की जब वह कांग्रेस में शामिल हुए। अजहर ने 2009 में उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद से चुनाव लड़ा और सांसद बने। फिलहाल वह तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हैं। अजहरुद्दीन एक बेहतरीन मध्य क्रम के बल्लेबाज थे और 1990 के दौरान 47 टेस्ट में भारतीय टीम का नेतृत्व किया।

नवजोत सिंह सिद्धू
क्रिकेट के मैदान को छोड़कर नवजोत सिंह सिद्धू ने राजनीति में अपनी किस्मत आजमाई। इस कदम में वह सफल भी रहे। सिद्धू भाजपा से 2009 और 2014 में लोकसभा सांसद भी रहे। हालांकि 2019 चुनाव में अरुण जेटली के आने पर सिद्धू नाराज हो गए थे बाद में उन्हें राज्यसभा से सांसद बनाया गया मगर कार्यकाल पूरा होने से पहले उन्होंने इस्तीफा दे दिया। 2017 में सिद्धू ने कांग्रेस ज्वाॅइन कर ली और पंजाब विधानसभा चुनाव जीतकर राज्य सरकार में मंत्री भी बने।

चेतन चौहान
1969 में भारत के लिए अपना पहला टेस्ट मैच खेलने वाले चेतन चौहान नभी खेल को अलविदा कहने के बाद राजनीति में उतरे। 1981 में अर्जुन पुरस्कार जीतने वाले चेतन ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा और अमरोहा जिला से सांसद चुने गए। वह दो बार यहां से सांसद रहे, बाद में वह चुनाव हारे। मगर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाई और योगी सरकार में वह चुनाव जीते और राज्य में मंत्री भी बने। हालांकि साल 2020 में कोरोना महामारी के चलते उनका निधन हो गया।

कीर्ति आजाद
1983 विश्व कप विजेता टीम का हिस्सा रहे पूर्व ऑलराउंडर कीर्ति आजाद ने भाजपा का प्रतिनिधित्व किया और बिहार के दरभंगा निर्वाचन क्षेत्र से तीन बार सांसद रहे। हालांकि बाद में अरुण जेटली पर गंभीर आरोप लगाने के चलते उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया। फरवरी 2019 में, वह कांग्रेस में शामिल हो गए और उन्होंने चुनाव भी लड़ा, मगर कांग्रेस टिकट से उन्हें हार का सामना करना पा। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री भागवत झा आजाद के पुत्र, कीर्ति आजाद एक आक्रामक दाएं हाथ के बल्लेबाज और तेज-तर्रार ऑफ स्पिनर थे। वह पहले दिल्ली के गोले बाजार निर्वाचन क्षेत्र से विधायक भी रह चुके हैं।

नवाब पटौदी
बॉलीवुड फिल्म एक्टर सैफ अली खान के पिता और फिल्म एक्ट्रेस शर्मिला टैगोर के पति नवाब मंसूर अली खान पटौदी भारतीय टीम के सर्वाधिक लोकप्रिय कप्तानों में शुमार रहे। 1991 में इन्होंने मध्यप्रदेश के भोपाल से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ा, लेकिन इन्हें इसमें सफलता नहीं मिल सकी।

एस श्रीसंत
IPL में स्पॉट फिक्सिंग के आरोपों के चलते केरल के इस तेज गेंदबाज का कॅरियर पटरी से उतर गया। क्रिकेट की पिच पर गेंदबाजी के बाद श्रीसंत ने राजनीति में कदम रखा और 2016 में विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने उन्हें तिरुवनंतपुरम सीट से उम्मीदवार बनाया। इस चुनाव में वह जीत नहीं पाए।

विनोद कांबली
पूर्व भारतीय क्रिकेटर और सचिन तेंदुलकर के जिगरी दोस्त विनोद कांबली ने क्रिकेट करियर की शुरुआत धमाकेदार अंदाज में की, मगर इसे वह ज्यादा लंबा नहीं चला सके। करीब 9 साल लंबे क्रिकेट करियर में कांबली ने कई बेहतरीन पारी खेली मगर राजनीति की पिच पर उनकी बैटिंग जम नहीं सकी। क्रिकेट से रिटायरमेंट के बाद कांबली ने राजनीति में कदम रखा और 2009 में लोक भारती पार्टी से असेंबली इलेक्शन लड़ा मगर वह चुनाव हार गए।

मनोज प्रभाकर
मनोज प्रभाकर भारतीय क्रिकेट टीम में एक ऑलराउंडर थे। उन्होंने 39 टेस्ट और 130 एकदिवसीय मैचों में भाग लिया जिसमें उन्होंने 3,400 से अधिक रन बनाए और 253 विकेट लिए। रिटायरमेंट के बाद, प्रभाकर ने राजनीति में कदम रखा और 1996 में दिल्ली से कांग्रेस पार्टी से आम चुनाव लड़ा मगर जीत नहीं मिल पाई।

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