- दस साल में कुछ गेम्स में मिली सौगात

- मगर काफी गेम्स में अब भी सुविधाओं की दरकार

- एस्ट्रोटर्फ ग्राउंड के साथ मिला रेसलिंग मैट

GORAKHPUR: गोरखपुराइट्स हर फील्ड में अपना जलवा बिखेर रहे हैं। चाहे वह आर्ट-कल्चर की फील्ड हो या फिर पॉलिटिक्स की। एजुकेशन की फील्ड हो या फिर स्पो‌र्ट्स की। हर जगह इनका दबदबा कायम है। खासतौर पर स्पो‌र्ट्स में यहां के खिलाड़ी इंटरनेशनल लेवल पर शहर का डंका बजाए हुए हैं। चाहे वह इंडियन रेसलिंग टीम के कोच के तौर पर चंद्र विजय सिंह हो या फिर ताइक्वांडो में विदेशियों को चित कर मेडल हासिल करने वाले विजय यादव, या फिर हॉकी में अपनी अलग पहचान बनाने वाली प्रीति दुबे। सभी ने गोरखपुर की मिट्टी से खेल की बुनियादी चीजें सीख प्रोफेशनल एरा में कदम रखा और आज वह देश-विदेश में जलवा बिखेर रही हैं। मगर इनके अलावा कोई अब कमाल दिखाने में कामयाब क्यों नहीं हो पा रहा है। वजह है सुविधाएं। खेल के मैदानों की कमी, प्रॉपर कोचिंग और गाइडेंस के साथ सही मौका न मिल पाना शहर वासियों के लिए नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर जलवा दिखाने की राह में रोड़ा बन रहा है। अगर जिम्मेदार इस ओर ध्यान दे दें, तो यकीनन शहर में उपब्धियों की बहार आएगी और मेडल्स की बरसात होगी।

अब बढ़ने लगी है सुविधाएं

गोरखपुर में सुविधाओं की बात की जाए तो पहले जहां खेल के मैदानों और संसाधनों की काफी कमी थी, वहां अब सुविधाएं काफी बेहतर हुई हैं। 10 सालों में गोरखपुर को खेल के लिए काफी ऑप्शन मिले हैं। जहां वीर बहादुर सिंह स्पो‌र्ट्स कॉलेज में अपग्रेडेशन वर्क हुआ है, तो वहीं दूसरी ओर वहां का एस्ट्रोटर्फ ग्राउंड खिलाडि़यों के लिए संजीवनी बना है। बीते सालों से एस्ट्रोटर्फ के अभाव में खिलाडि़यों का खेल जो पिछड़ रहा था, उसे अब संजीवनी मिली है। इससे उनका खेल सुधरा है। वहीं अब लगातार हो रहे टूर्नामेंट से उनका मनोबल भी बढ़ने लग गया है।

शहर से बने सीएम तो खेल को लगे पंख

गोरखपुर में यूं तो धीरे-धीरे बदलाव की बयार बह रही थी, लेकिन पिछले दो-तीन सालों से इसमें काफी तेजी आई है। वजह है शहर से सीएम का होना। गोरखपुर के सांसद की जिम्मेदारी उठा रहे योगी आदित्यनाथ को जब सूबे की कमान मिली, तो गोरखपुर में खेल को भी काफी प्रोत्साहन मिला है। जहां एक्स्ट्रोटर्फ की सौगात मिलते ही स्टेडियम को इंटरनेशनल मैच की मेजबानी का मौका मिला है, तो वहीं रेलवे स्पो‌र्ट्स स्टेडियम में भी विजय मर्चेट के मैच ऑर्गनाइज कर बीसीसीआई की टीम को गोरखपुर में बुलाया। इस टूर्नामेंट के दौरान यूपी और विदर्भ के बीच मुकाबला हुआ था।

रेसलिंग हमेशा ही चहेता

गोरखपुर में रेसलिंग का गेम हमेशा से ही लोगों की पहली पसंद रहा है। ढेरों इंटरनेशनल रेसलर देने वाले गोरखपुर ने ही इंटरनेशनल लेवल पर दम दिखाने वाले पहलवानों को ट्रेंड करने वाला कोच दिया है। वहीं पहलवानों की चमक इस कदर छाई है कि गोरखपुर अब तक दो बार स्टेट लेवल रेसलिंग कॉम्प्टीशन की मेजबानी भी कर चुका है। सुशील कुमार, योगेश्वर दत्त, बजरंग पुनिया, नरसिंह पंचम यादव जैसे रिनाउंड रेसलर्स गोरखपुर आकर खिलाडि़यों का उत्साहवर्धन कर चुके हैं। शहर के देसी मिट्टी के खेल को अब जरूरत है थोड़ा अपग्रेड होने की और अगर यहां अब मैट्स प्रोवाइड कराने के साथ ही टेक्निकल पहलू पर भी सरकार ध्यान दे दे, तो गोरखपुर रेसलिंग की नर्सरी फिर लहलहाने लगेगी।

अब 'इंटरनेशनल' की ओर कदम

गोरखपुर में अब तक इंटरनेशनल लेवल के स्पो‌र्ट्स ऑर्गनाइज होने के लिए ज्यादातर सुविधाएं मौजूद हैं, बस व्यवस्थाओं को थोड़ा सा अपग्रेड और अपटू नॉ‌र्म्स करने की जरूरत है। इसके लिए पहल भी हो चुकी है। जहां एस्ट्रोटर्फ ग्राउंड के इर्द-गिर्द खिलाडि़यों के लिए ड्रेसिंगरूम तैयार होने लगा है, तो वहीं दर्शकों के लिए पैविलियन की व्यवस्था भी की जा रही है। सीएम योगी आदित्यनाथ की पहल पर अब गोरखपुर के क्रिकेट खिलाडि़यों को भी इंटरनेशनल स्टेडियम की सौगात मिलने वाली है। इतना ही नहीं रेलवे ने भी अपने ग्राउंड पर इंटरनेशनल स्टैंडर्ड को ध्यान में रखकर अपग्रेड करना शुरू कर दिया है, जिससे कि यहां भी रणजी और दूसरे नेशनल लेवल मैचेज की राह खुल जाए और गोरखपुर का नाम नेशनल फलक पर चमकने लगे।

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सबसे अलग कतार में खड़ा करेगा वॉटर स्पो‌र्ट्स कॉम्प्लेक्स

गोरखपुर में यूं तो ऐसे सुविधाएं डेवलप की जा रही हैं, जो इंटरनेशनल स्टैंडर्ड के लिए जरूरी हैं। लेकिन यह सभी सुविधाएं दूसरे शहरों की तरह कॉमन हैं। मगर रामगढ़ताल पर बनने वाला वॉटर स्पो‌र्ट्स कॉम्लेक्स गोरखपुर को प्रदेश के अहम शहरों से अलग करते हुए खास मुकाम पर लाकर खड़ा करता है। गवर्नमेंट का भी इसपर ध्यान है, जिसकी वजह से सुविधाओं में लगातार इजाफा भी होने लगा है। डीपीआर जा चुका है और गवर्नमेंट का सेंक्शन भी मिल चुका है। जल्द ही इस प्रोजेक्ट पर काम भी शुरू होने की उम्मीद है।