मां मैं चोर नहीं हूं. मैंने मामा का मोबाइल नहीं चुराया, मैं सच कह रहा हूं, वो तो मैं मामा के मोबाइल पर गेम खेल रहा था और झटके में मोबाइल बैग में रह गया लेकिन आपने भी मुझपर भरोसा नहीं किया और मुझे चोर समझा. इसलिए मैं इस दुनिया से हमेशा से लिए जा रहा हूं. आपका चोर बेटा शुभम. कुछ ऐसा ही सुसाइड नोट में भोजपुरी में लिख गया था 13 साल का शुभम. मंडुआडीह निवासी शुभम पटेल ने को इस बात का ज्यादा गम नहीं था कि उस पर उसके सगे मामा ने मोबाइल और रुपये चोरी का आरोप लगाया. उसे ज्यादा दु:ख बात का था कि मां ने मामा की बात पर यकीन कर उसे चोर समझा.

हर कोई था शॉक्ड

सोमवार की रात कमरे में फांसी लगा कर जिंदगी को अलविदा करने वाले किशोर शुभम पटेल के इस कदम से हर कोई शॉक्ड नजर आया. बेटे को जन्म देने वाली मां खुद को ये कहकर कोस रही थी कि उसने राखी की खातिर भाई के आरोपों पर बेटे की बात को क्यों इग्नोर किया. दरअसल शुभम के ऊपर उसके मामा ने अपने घर से मोबाइल और रुपये चोरी का आरोप लगाया था. जिसके चलते मामा और मां दोनों ने उसे जमकर डांट पिलाई थी. इसी बात से क्षुब्ध शुभम ने सोमवार की देर रात अपने कमरे में मां की साड़ी का फंदा बनाकर जान दे दी.

रविवार को लौटा ननिहाल से

मंडुवाडीह के नाथूपुर के कन्हैया पटेल के दो बेटों में बड़ा शुभम भुल्लनपुर स्थित प्राइवेट स्कूल में क्लास सेवेंथ का स्टूडेंट था. शुभम दो दिन पहले अपने छोटे भाई सूरज के साथ लोहता अपने ननिहाल गया था. दोनों भाई रविवार को वापस लौटे. इस बीच शुभम के ननिहाल से उसके मामा का मोबाइल फोन और लाकर से कुछ रुपये गायब हो गए. दोनों चीजों के एक साथ गायब होने पर ननिहाल में शुभम की मामी और उसके मामा ने शुभम पर ही चोरी का इल्जाम लगाते हुए उससे पूछताछ शुरू कर दी.

आ धमके घर पर

पहले तो मामा ने फोन पर शुभम से पूछताछ की. बाद में मामा सोमवार को शुभम के घर ही पहुंच गए. उन्होंने मोबाइल और रुपयों के बारे में कई बार शुभम से पूछा मगर हर बार शुभम का एक ही जवाब था कि उसे मोबाइल और रुपयों के बारे में कुछ भी पता नहीं. भाई के कहने पर शुभम की मां ने भी बेटे पर दबाव बनाया और तरह-तरह की कसमे देते हुए सच बोलने को कहा मगर शुभम फिर भी अपनी बात पर अडिग रहा.

बैग से मिला मोबाइल

शुभम के न नुकुर करने पर शुभम के मामा ने पहले उसकी आलमारी फिर उसका बैग चेक किया. बताते हैं कि बैग में मोबाइल फोन मिल गया. हालांकि शुभम लगातार यही कहता रहा कि उसे नहीं पता कि बैग में कैसे मोबाइल आया. उसने ये भी कहा कि शायद ननिहाल में मोबाइल पर गेम खेलते हुए भूल से उसके पास रह गया. इस दलील पर ना मामा ने यकीन किया ना ही मां ने. दोनों ने ही चोरी के लिए उसे जमकर कोसा और रुपयों के बारे में बताने के लिए दबाव बनाते रहे.

रोते रोते गया कमरे में

मां और मामा की नेग्लीजेंसी से नाराज शुभम रोते हुए अपने फस्ट फ्लोर पर बने कमरे में चला गया और रात में खाना खाने के लिए भी नीचे नहीं आया. रात में मां ने भी खाने के लिए कई बार कहा लेकिन शुभम भूखा ही रहा. मंगलवार की सुबह शुभम की मां सुनीता उसे जगाने के लिए उसके कमरे में पहुंची तो अंदर का सीन देखकर उसके होश उड़ गए. कमरे के अंदर शुभम मां की ही साड़ी से पंखे के सहारे फांसी पर झूला हुआ था. ये देख सुनीता देवी ने शोर मचाकर आस पड़ोस के लोगों को बुलाया. सुनीता की आवाज सुनकर लोग उसके घर पहुंचे और किसी ने कंट्रोल रुम को सूचना दे दी.

लास्ट पन्ने पर मौत का पैगाम

पुलिस ने मौके पर पहुंचते ही कमरे में सुसाइड नोट को खोजना शुरू किया. इस पर पुलिस को शुभम के डेस्क पर रखे एक नोट पैड के लास्ट पन्ने पर एक लेटर लिखा मिला. लेटर शुभम ने भोजपुरी में अपनी मां के नाम लिखा था. लेटर की फस्ट लाइन थी

'मम्मी हम मोबाइल नाही चोरऊले हई. हम गेम खेलत रहली और मोबाइल गलती से हमरे जेबा में रखा गयल. मामा के लॉकर में पैसा भी ना रहल. हम चाची का भी रुपया नाही ले ले हई. शनि (छोटा भाई) अब तोके कोई न मारी. मम्मी हम तोके बहुत प्यार करीला और अब तोके दस बार बुलावे के न पड़ी, काहे कि कि हम हमेशा के लिए जात हई. पापा के इ बात बताये दिहाÓ.

तोहर चोर बेटा

शुभम.

पुलिस वालों की आंखें भी डबडबा उठीं

वैसे ऐसा कम देखने को मिलता है जब पुलिस वालों की आंखे नम हो लेकिन शुभम के सुसाइड नोट को पढऩे के बाद वहां मौजूद कई पुलिस वालों की आंखे डबडबा उठीं. सामने लाश का मासूम चेहरा और उसके बाद टूटी फूटी भोजपुरी में उसके दिल का दर्द पढऩे के बाद सभी एक दूसरे से नजर चुराते दिखे.

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ऐसे मौके पर पेरेंट्स को बच्चों की गलती समझनी चाहिए लेकिन उस गलती का एहसास बच्चों को तुरंत नहीं होने देना चाहिए.  बच्चों की कम उम्र के चलते उनकी मानसिक हालत पर इसका गहरा असर पड़ता है. ऐसे मामलों में पेरेंट्स को बच्चों को कुछ देर बाद समझाना चाहिए ताकि बच्चे बातों को अपने दिल पर न ले.

-डॉ संजय गुप्ता, साइकिएट्रिस्ट