नई दिल्ली (पीटीआई)। दो दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना की प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। केंद्र सरकार के अधिकारियों पर आरोप था कि उन्होंने हाईकोर्ट के आदेश के मुताबिक दिल्ली में कोविड-19 संक्रमण के मरीजों के उपचार के लिए रोजाना 700 मिट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित नहीं की थी। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के अवमानना के आदेश पर रोक लगाते हुए कहा था कि अधिकारियों को जेल भेजने से ऑक्सीजन नहीं मिल जाएगी तथा हमारा प्रयास जान बचाने का होना चाहिए।

शुक्रवार को दिल्ली एनसीआर में 86 मिट्रिक टन ऑक्सीजन

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ तथा जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने कहा कि केंद्र सरकार दिल्ली में प्रतिदिन 700 मिट्रिक टन लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन (एलएमओ) की आपूर्ति सुनिश्चित करे। सुनवाई के दौरान वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए शुक्रवार को बेंच के समक्ष पेश होकर वरिष्ठ वकील राहुल मेहरा ने दिल्ली सरकार का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में शुक्रवार की सुबह 9 बजे तक 86 मिट्रिक टन ऑक्सीजन आ चुकी है तथा 16 मिट्रिक टन ऑक्सीजन रास्ते में है।

ऑक्सीजन आपूर्ति न कर पाने का बहाना नहीं चलेगा : कोर्ट

बेंच ने कहा कि हम दिल्ली में रोजाना 700 मिट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति चाहते हैं। कोर्ट ने कहा कि यह आदेश प्रतिदिन के लिए है, इसमें कोताही न बरती जाए। केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट को कठोर कदम उठाने के लिए मजबूर न करे। एक दिन में ऑक्सीजन की आपूर्ति न होने के लिए यह बहाना न बनाया जाए कि कंटेनर्स नहीं हैं या ऑक्सीजन पहुंचाने में दिक्कतें आ रही हैं। बेंच की ओर से जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि जस्टिस शाह से मशविरा करने के बाद लगता है कि दिल्ली में प्रतिदिन 700 मिट्रिक टन एलएमओ की आपूर्ति होनी चाहिए। बेंच ने कहा कि कोर्ट अपने आदेश में सुधार नहीं करेगा। सरकार इतनी ऑक्सीजन की आपूर्ति की व्यवस्था करे।

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