चीफ जस्टिस की बेंच ने दिया र्निदेश

सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ को व्यापम घोटाले से संबंधित सभी केस अपने हाथ में लेने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया है। शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश एचएल दत्तू, न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और अमिताव रॉय की पीठ ने जांच एजेंसी को छह से आठ सप्ताह तक का समय देने से इन्कार कर दिया। व्यापम मामले की सुनवाई कर रही विशेष अदालतों में पैरवी की खातिर स्वतंत्र वकीलों की नियुक्ति के लिए अदालत ने सीबीआइ को छह सप्ताह का समय दिया।

185 मामलों की है जिम्मेदारी

जांच एजेंसी ने कोर्ट को बताया कि व्यापम से जुड़े 185 केस हैं और वह सभी केसों को छह से आठ सप्ताह के भीतर अपने हाथ में ले लेगी। इन 185 मामलों में से 73 केस परीक्षा में नकल से संबंधित हैं, जिन्हें वह बाद में जांच के दायरे में लेगी। हालांकि सीबीआइ की इस दलील से सुप्रीम कोर्ट संतुष्ट नहीं दिखा और उसे सभी केसों को तीन सप्ताह में अपने हाथ में लेने का आदेश दिया।

रिक्त पदों की आपूर्ति भी करने को कहा

साथ ही कोर्ट ने जांच एजेंसी से यह भी पूछा है कि उसके यहां कितने पद खाली पड़े हैं? इस बाबत भी सात अगस्त तक सूचित किया जाए। अगर पद खाली हैं, तो कोर्ट सरकार को निर्देश देगी। इससे पहले एजेंसी ने कोर्ट को बताया कि उसके पास स्टाफ की कमी है। मामले की अगली सुनवाई 24 अगस्त को मुकर्रर की गई है।  

587 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज

इस बीच व्यापम घोटाले की जांच कर रही सीबीआइ ने इस मामले में 16वां केस दर्ज किया है। इसके तहत तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक पंकज त्रिवे समेत 587 लोगों के खिलाफ अनियमितता के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई है। यह किसी एक केस में शामिल लोगों की सबसे ज्यादा संख्या है। यह मामला 2012 के प्री-मेडिकल टेस्ट के सिलसिले में दर्ज किया गया है। यह मामला परीक्षा क्रमांक के आवंटन में गड़बड़ी और ओएमआर शीट बदलने के आरोपों में दर्ज किया गया है।

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